________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
॥
७
॥
॥ ८
॥
॥
९
॥
लोहम्मि सिंहकेसर-साहू चेङगनिहाणविह[वणिअ]मित्तो। रागम्मि विक्कमजसो, विण्हुसिरीए य देवरइ दोसम्मि पिप्पलादो-महुदेवो चेव नाविओ नंदो। मोहम्मि उ बलदेवो, कण्हसरीरं परिवहंतो इच्छाए कविलरिसी, मिच्छम्मि जमालिपमुहआहरणा । मुच्छाए कणगझओ, नियसुयदेहाणुवगयरो संकाए अव्वत्ता-साढा एवमित्थुदाहरणा। कंखाए उ मिरीई [मरीई], कविला इत्थंपिइ भणंतो गेहम्मि महुरमंगू-आयरिया पुण हवंति आहरणं । पुरनिद्धमणे जक्खो, जे जाया जिब्भदोसेणं आसाए मूलदेवो, बंभणपाहेयआससंजुत्तो। ये तण्हाइ गालदहो, छुहाइ दमगो सिलापाई
॥ १०॥ पंथोऽप्पकालगम्मो, पोयणमग्गम्मि वक्कलच्चीरी। पंथाणो य महंतो, महिंदसिंहो तहिं नेओ
।। ११ ॥ निदाए आहरणा, थीणद्धिगया उ पुत्तलाईया। नीयाणम्मि उ नेया, गंगदत्ताइआहरणा
॥ १२ ॥ नेहम्मि उ मरुदेवी, अरहण्णगवइरसामिमाई उ। कामे कुमारनंदी, हासपहासे सुमुच्छी[च्छि]ओ ॥ १३ ॥ मायावलेव कलुस-झाणम्मि अभि महापीढपीढा य।। कलहे कमलामेला-हरणे पुण नारओ नेओ
॥ १४ ॥ जुज्झम्मि कोणिओ खलु, पज्जोओ चेव सुहुमठाणेसु । निजुज्झम्मि य भरहो, बाहुबली चेव दिटुंतो
॥ १५॥ संगम्मि उ भवदेवो, गहियवओ नागिलाइ अणुरत्तो । संगहझाणम्मि तहा, दल्वे लुडुव्व मम्मणओ
॥ १६॥
૧૨
For Private And Personal Use Only