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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८२ www.kobatirth.org योग और साधना Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर्मों के द्वारा अपने स्वयं के अनुभवों में उतरना पड़ता है, बाद में ये ही अनुभव हमारे ज्ञान के पुंज सिद्ध होते हैं। इतना होने के पश्चात् भी जब तक हमारे मन के अन्दर भक्ति की भावना नहीं आती, तब तक हमें यही हमझना चाहिए कि अभी तक हम उस बीज की तरह से हैं जो रेगिस्तान की सूखी बालू में पड़ा है । जहाँ मिट्टी भी है और बीज भी है लेकिन नमी न होने के कारण से उसमें अंकुर नहीं फूट पा रहे हैं । जैसे जब हम प्राणायाम में उतरते हैं तो, थोड़े से अभ्यास के पश्चात् ही हम अपने व्यर्थ के विचारों पर कुछ हद तक काबू पा लेते हैं। विचारों से रहित होने को स्थिति को हम "सुन्न" ( विचार शून्य) की स्थिति कहते हैं । जब हम इससे आगे अपनी क्रिया में उतरते हैं, तब अपने विचार शून्य मन से, एकाग्र होकर अपने किसी इष्ट का नाम या किसी मन्त्र का जाप करते हैं, तब धीरे-धीरे एक समय ऐसी स्थिति आती है; जब हमारे द्वारा जपा जा रहा वह मंत्र खुद व खुद हमारी स्वांसस्वांस हमारी धड़कन-धड़कन से हमें अपने आप उच्चारित हुआ प्रतीत होता है । इस प्रकार की स्थिति को हम आध्यात्म की भाषा में अपनी साधना से जब हम, और ज्यादा गहराई में इस अजपा की स्थिति में डुबकी लगाते हैं; तब हमारा ध्यान उस मन्त्र से भी हटकर शुद्ध रूप में स्वयं हमारे ऊपर आ जाता है । तब हम इस शरीर की बाहरी तमाम क्रियाओं से अनुपस्थिति होकर इसकी आन्तरिक क्रियाओं के सम्पर्क में आते हैं । अजपा की स्थिति कहते हैं । *आन्तरिक क्रियाओं को जरा यहाँ गौर से समझें ऊपरी तौर पर हमें अपने हृदय की धड़कन सुनाई या महसूस नहीं होती, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में जब हृदय बहुत ज्यादा जोर से धड़कता या अत्याधिक धीमी गति से धड़कता है तब हम उसकी धड़कन अपने अन्दर महसूस करने लगते हैं । इसी प्रकार इस शरीर की अनन्य क्रियाएं जो अनवरत् हमारे शरीर के अन्दर चलती रहती है। उन्हें ही मैं यहाँ आन्तरिक क्रियाओं के शब्द से सम्बोधित कर रहा हूँ । उन क्रियाओं का शोर शुरू-शुरू में साधक को थोड़ा विचलित करने वाला For Private And Personal Use Only
SR No.020951
Book TitleYog aur Sadhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamdev Khandelval
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1986
Total Pages245
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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