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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २१० योग और साधना इच्छा शक्ति के कारण इसी प्रकार से वह धड़कनों की उस लगातार कड़ी के ज्यादा देर तक टूटे रहने के पश्चात् क्यों नही जीवित रह सकता ? यह ठीक है लोहे की जंजीर की एक कड़ी यदि टूट जाती है तो वह फिर से एक न होकर दो हो जाती हैं, जिसके कारण अब दूसरी जंजीर का सम्पर्क हमेशा के लिए पहले से टूट जाता है, उसी प्रकार हृदय का संबंध भी जीवन से टूट जाना चाहिए था लेकिन एक धड़कन के बीच में से गायब होने के पश्चात भी वह जीवित रहता है तो फिर वह उस शृंखला में से और ज्यादा धड़कनों के गायब होने के बाद भी उसके जीवित रहने को हम असंभव की श्रेणी में कैसे मान सकते हैं और यही है हमारी इच्छा शक्ति का कमाल, जिसके कारण हम मर कर भी जीवित हो जाते हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जब इन्सान हवाई जहाज से पैरागुट लेकर कूदता है और जब तक उसका पैराशूट नहीं खुलता है जिसके कारण वह पृथ्वी की तरफ लोहे के गोले की तरह से गिरता है तो पता है कितनी धड़कनें उसके हृदय की गायब हो जाती हैं लेकिन इच्छा शक्ति ही है जो उसे जिन्दा रखती है। ठीक वही इच्छा शक्ति जो हमें यहाँ इस जीवन में लाई है और यही इच्छा शक्ति इस शरीर में हमें जब तक बनाये रखती है तब तक कि शरीर बिलकुल ही हमारे ठहरने लायक नहीं रह जाता है। आजकल तो विज्ञान ने भी प्रयोग करके यह जान ही लिया है कि हृदय के बन्द हो जाने को ही मृत्यु नहीं मान लिया जाना चाहिये जब कि मृत्यु तो तब मानी जाती है जब मस्तिष्क की कार्य विधि काम करना बन्द कर देती है । इस प्रकार से हम देखते हैं कि कुण्डलिनी जागरण के समय हमारी शारीरिक गतिविधियाँ और यहां तक कि इडा पिघला से संचालित यह हृदय भी बन्द हो जाता है लेकिन हमारा मष्तिक जो कि सुषमणा के द्वारा चैतन्य रहता है हमारी समाधिस्त अवस्था से होश में आने के बाद दुबारा जीवित होने का कारण बनता है । इसी बात को ठीक से समझने के लिए हमें प्रार्थना का अनुभव स्वयं ही करना होगा क्योंकि बिना अनुभव स्वयं के किये, आपको कोई कितना ही समझा दे, सोते की तरह भी आपको पाठ रटाया जावे लेकिन आपके भीतर उतरेगा ही For Private And Personal Use Only
SR No.020951
Book TitleYog aur Sadhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamdev Khandelval
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1986
Total Pages245
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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