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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अध्याय १ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मृत्यु को स्वीकार करना ही सत्य को स्वीकार करना अभी हाल ही में एक घटना हमारे देश में ही घटी है। जिसके अनुसार हमारे देश में कई एक प्रख्यात ज्योतिषियों ने बिना किसी का नाम लिए ही यह भविष्यवाणी की थी, कि १५ नवम्बर १९८२ को पांच या सात ग्रह एक ही राशि में इकट्ठे हो रहे हैं, जिनके प्रभाव के कारण हमारा देश किसी न किसी महान विभूति अथवा किसी विशिष्ट व्यक्तित्व से हाथ धो बैठेगा। अखबार में यह समाचार मैंने भी दीपावली यानी कि १५ नवम्बर ८२ से दो तीन महीने पहिले ही पढ़ लिया था । इसे पढ़कर कुछ लोगों के मन में श्रीमती इन्दिरा गांधी के बारे में आशंकायें पैदा हो गई थी । लेकिन जैसे ही दीपावली से ७ दिन पूर्व मुझे पता चला कि कि "आचार्य विनोबा भावे" को दिल का दौरा पड़ा है तथा उन्होंने अन्न जल ग्रहण तथा किसी भी प्रकार की डाक्टरी सहायता लेने से इन्कार कर दिया है, मैं समझ गया था कि, उस भविष्य वाणी के अनुसार परमात्मा हमारे बीच में से शायद विनोबा जी को ही उठाने वाला है । तब तक दीपावली में पूरे सात दिन बकाया थे, लेकिन ज्योतिषियों की भविष्यवाणी दीपावली के दिन ही निर्वाण को प्राप्त हुये । अनुसार ही विनोबा ठीक यहाँ इस घटना को लिखने का मेरा आशय सिर्फ इतना ही है कि हम मानव हैं एवं इस प्रकृति के चक्र के खिलाफ हमारा अपना कोई भी प्रयत्न कारगर नहीं हो सकता हैं । फिर भी यदि हम अपने से चेष्टा करते हैं तो वे चेष्टायें, चेष्टाएँ न रहकर हमारी कुचेष्टायें ही कालान्तर में सिद्ध होती है । एक तरीके से तो हम पशु की तरह भी जी सकते हैं जिसे भविष्य के दर्शन या कल क्या होने वाला है इसको जानने की आकांक्षा ही नहीं होती । उन्हें जन्म मिल गया तो जी लिए, यदि मृत्यु आगई तो मर गये। लेकिन दूसरे प्रकार से जीते समय हम पशु की तरह नहीं जीते वल्कि मनुष्य की तरह से जीते हैं, For Private And Personal Use Only
SR No.020951
Book TitleYog aur Sadhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamdev Khandelval
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1986
Total Pages245
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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