________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Achar
इडा पिघला और सुषमणा नाड़ियों का अस्तित्व तथा प्रभाव
१७५
मानसिक शक्ति जागृत किए था वह ? इसकी वजह से ही एक ही दुर्घटना में उसको अपने सूधम शरीर पर सिद्धता आ गयी क्योंकि लगातार तीन दिन तक बेहोशी के दौरान वह उन अनुभवों में रहा था । यही कारण है उसको किसी भी निश्चित प्रक्रिया अपनाए बिना भी असीमित फल मिले।
कहने का तात्पर्य यह है कि यदि हम अपने आप को भक्ति की राह पर चलाकर तैयार करना चाहते हैं तो भी कालान्तर में हो ही जावेगा। यदि शुरू में ज्ञान के क्रियात्मक मार्ग के द्वारा हम अपने आप को उस घटना के लिये तैयार करना चाहते हैं तो इस तरह से भी हो जाता है साथ ही इसमें समय भी अपेक्षाकृत कम लगता है लेकिन है बहुत कठिन । किन्हीं लोगों ने तो ज्ञानमार्ग को तलवारों की धार पर चलने का मार्ग बताया है लेकिन जो भी सच्चे साधक होते हैं वे कठिनाइयों की चिन्ता नहीं करते हैं।
सर्वप्रथम हमें अपने शरीर के भारीपन या मोटापे को संयमित करना होगा । दूसरी बात हमारे आहार में उन सब प्रकार के तत्वों पर कड़ा प्रतिबन्ध हमें लगाना होगा, जिनकी वजह से नरवस सिस्टम के तन्तुओं पर या हमारे मस्तिष्क में भारीपन आता है और जब ये दोनों बातें पूर्णतः संभल जावें तब ही आगे तीसरी सीढ़ी पर चढ़ने के अधिकारी आप हो पायेंगे अन्यथा तमाम साधना व्यर्थ में ही जायेगी। आपका भारीपन बड़े ही कष्टपूर्ण तरीके से साधना में बाधक बनेगा । जिसके कारण आप अपने मार्ग को नियमित नहीं रख सकेंगे।
इस कुण्डलिनी जागरण की साधना के प्रथम माग में चौथी और आखिरी सीढ़ी है प्राणायाम । ये चारों साधन साधना के स्थूल रूप हैं । प्रथम हमें अपने शरीर को निरोग बनाकर शारीरिक भारीपन से छुटकारा पाना होता है जिसको कि हम यौगिक आसनों से तथा संयमित आहार के द्वारा ऐसा कर सकते हैं जिनका शारीर पहले से ही इकहरा है, उन्हें कोई खास परेशानी नहीं आयेगी । दूसरे हमें अपने मस्तिष्क पर से तमाम भारीपन या बोझ उतार देने होंगे । मस्तिष्क पर जो चीजें बोझ बनती हैं उनमें नशीली चीजें आती हैं। किसी भी प्रकार का नशा अन्ततः हमारे मस्तिष्क पर अलग से बोझ ही सिद्ध होता है चाहे उसमें शराब हो, गांजा हो, अफीम हो या अन्य किसी भी तरह की नशीली दवायें हों क्योंकि नशा होता ही मस्तिष्क में है। इसका मतलब जब तक हमें नशा होता है तब तक
For Private And Personal Use Only