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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इडा पिंधला और सुषमणा नाड़ियों का अस्तित्व तथा प्रभाव १४६ अलजे, बढ़ने की परेशानी से बच जाता । ...... इस तरह कार्य करते-करते उसे शायद महीनों गुजर गये थे। उसे, इस कार्यकलाप का अच्छा अभ्यास भी हो गया था। यानि कि पहले जहाँ एक दीवाल से दूसरी दीवाल पर पहुँचने पर उसकी आँखें बन्द हो जाती थीं, कुछ धड़कनें तेज हो जाती थीं, अब उसे यह कार्य खेल के समान हो गया था। वह अपने सम्पूर्ण होश खान के साथ एक तरफ से दूसरी तरफ पहुँच जाता था। इसी प्रकार एक दिन जब वह करीब २५.फीट ऊपर से एक तरफ की दीवाल. से दूसरी तरफ की दीवाल पर झा रहा था, उसकी सीढ़ी का एक पाया जमीन से उठ गया। जिसके कारण उसकी सीदी एक तरफ से टेढ़ी हो गयी उसके लाख कोशिश करने के पश्चात् भी वह उस सीढ़ी को वापिस, उसकी दोनों टाँगों पर खड़ा नहीं कर सका, जिसके परिणामस्वरूप वह उस सीढ़ी के साथ ही. दीवाल के सहारे घिसट कर अगले कुछ सैकिण्डों में धड़ाम से जमीन पर आ गिरा । जब वह जमीन पर आकर टकराया उससे पहले तक वह अपनी पूरी ताकत से अपना बचाव होशपूर्वक करता रहा था लेकिन सिर फटते ही वह अपना होश हवाश खो बैठा। अस्पताल पहुँचने के बाद कथा के अनुसार वह कई दिनों तक बिस्तर पर पड़ा रहा । जिस समय उसे पहली बार होश हुआ, उसने एक नर्स को अपनी सेवा करते हुये पाया, होश में आने के पन्द्रह बीस मिनट के अन्दर ही वह मानसिक रूप से. संयत हो गया उसे पिछला सब भली-भांति याद हो आया था कि वह पुताई करते हुये सीढ़ी से गिर गया था। उसका नाम पीटर हारकोस है। तारीख याद करने की कोशिश की तो पूछने पर नर्स ने उस दिन की तारीख उसे बताते हुये कहा, "आप तीन दिन तक बेहोश रहने के पश्चात ही आज होश में आये हैं।" घटना के अनुसार यहाँ तक तो सब कुछ सामान्य ही था। उसने पानी माँगा, नर्स ने गिलास में पानी भरकर उसके मुंह के ऊपर से डाला, पानी की कुछ बूदें पीटर के लेटे होने के कारण मुह पर गिर गयीं, उन्हें पौंछने के लिये नर्स ने इधर-उधर कुछ देखा । उसे कहीं कोई तोलिया वगैरहा नहीं दिखाई दिया। तब वह स्वयं अपना रूमाल निकालकर पानी की बूंदों को पौंछने को हुयी तो पीटर ने स्वयं हाथ बढ़ाकर रूमाल, नर्स के हाथों में से ले लिया और धन्यवाद कहकर पानी की बूंदों को स्क्यं ही पोंछने लगा । तभी उसे एक दृष्य दिखाई देने लगा। उस दृश्य के मुताबिक For Private And Personal Use Only
SR No.020951
Book TitleYog aur Sadhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamdev Khandelval
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1986
Total Pages245
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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