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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achar १२४ योग और साधना "फिर दुवारा उसी पुजारी से बातें की तो आश्चर्य यह हुआ जो पुजारी पहले रूखा होकर बोला था। अब उसने सहज ही स्वीकृति दे दी। मन ही मन मैं उस सन्यासी का धन्यवाद दिये बगैर रह न सका। जब से गंगाजी में वह परोसा वाली घटना घटी तब से मैं अपने आंसूमों को बड़ी मुश्किल से रोक पा रहा था आंसू बार-बार बाहर आकर छलक छलक रहे “थे । शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाकर जैसे ही सिर झुकाया आंसुओं का अटूट श्रोत आंखों से फूट पड़ा । बड़ी मुश्किल से हिचकियां रुकी। तब कहीं जाकर सिर पर उठा सका। मन्दिर से बाहर निकलकर प्रसाद पाने वालों में सबसे पहले वही सन्यासी खड़ा था। उसने प्रसाद लेने के बाद इशारे से बता दिया कि यह ऑरों को बांट दो उसके बाद वह सन्यासी फिर कभी दिखाई नहीं पड़ा। सबसे अन्त में बबुआ के बाद मैंने थोड़ा सा पंचामृत लिया भारत साधु समाज के कमरों के नीचे साधु समाज की ही दुकानों में पूड़ी कचौरी वालों की ही दुकान हैं। वहीं से थोड़ा सा ही अन्न मैंने लिया। इन दो एक पूरी कचौरियों ने ही मुझे बहुत कुछ परेशानी में डाल दिया । उनका इतना भारी नशा उस समय मुझे हुआ कि मुझे उसका सहन करना भी कठिन हो गया था इसकी आशंका मुझे भी थी लेकिन उस समय सादा कच्चा खाना मिलना भी संभव नहीं था। मेरा चेहरा, जो पहले- जब मैं दाढ़ी बना रहा था । सूखा हुआ और पीला लग रहा था। इस थोड़े मे अन्न खाने के बाद ही सुर्ख गुलाबी लगने लगा था। बबुआ तो क्या मैं स्वयं भी उस आभा को देखकर आश्चर्यचकित हुये बगैर नहीं रह सका था। घंटे आधे घंटे के बाद जब मैं संयत हुआ तो बबुआ से पूछा, “बद्रीनाथ की टिकिट बुक करा आये" ? “करा आया ? तुमने तो जबाब में लिखा था कि ईश्वर की इच्छा । मैंने सोचा इनकी इच्छा जाने की नहीं है। इसलिये नहीं गया ।" मैंने कहा, नहीं ऐसी बात नहीं है । अभी मई का दूसरा हफ्ता चल रहा है । हो सकता है कि बर्फ से अभी रास्ता ठीक नही बन पाया हो तथा बरमात भी अभी ‘पड़ कर चुकी है । ऐसी बरसात में पहाड़ों में फिसलने की भी बीमारी रहती है । मैंने तो इसलिये लिखा था। रही मेरी इच्छा की बात- नर नारायण की तपस्थली को कौन तपस्वी अपने कार्यक्रम पूरा करने के बाद नहीं जाना चाहेगा। अब तो शाम होने को आयी है। कल सुवह अगर कल की ही बुकिंग मिल जाये For Private And Personal Use Only
SR No.020951
Book TitleYog aur Sadhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamdev Khandelval
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1986
Total Pages245
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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