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हुआ है। इसी प्रभाव से यथावश्यकता बहुधा सजन पत्र द्वारा मुझ से मुसलमान बादशाहों के नाम, पते और दूसरे वृत्तान्त पूछा करते हैं। इस वास्ते मैंने उनके तथा सर्वसाधारण के हितार्थ यह छोटा स्सा ग्रंथ रचा है जिसमें सब मुसलमान बादशाहों की वंशावलियाँ, साल, संवत् और ज़रूरी घटनाओं सहित आ गई हैं और प्रत्येक बादशाही के घराने के प्रारंभ और समाप्ति के कारण भी बता दिये हैं। अब रही यह बात कि प्रत्येक बादशाह ने क्या क्या काम किया और हिन्दुओं के साथ उसका कैसा कैसा बर्ताव रहा सो यथावकाश दूसरे ग्रंथ में दिखाया जावेगा। अभी तो पाठक इस छोटे ग्रन्थ से कुछ संक्षिप्त रूप में मुसलमान बादशाहों का इतिहास जान ले और अपने ध्यान में रक्खें।
* यह ग्रंथ विशेष करके तवारीख़ फ़रिश्ता के आधार पर बनाया गया है, जो एक बड़ासंग्रह भारत के मुसलमान बादशाहों के इतिहास का है और जिसको सन् १०१५ हिजरी-संवत् १६६३-में मोहम्मद क़ासिम फ़रिश्ता नाम एक मुंशी ने दक्षिण बीजापुर के बादशाह इब्राहीम आदिलशाह के हुक्म से बहुत सी तवारीखों का सार लेकर बनाया था । अंगरेज़ लोग भी इसी के प्रमाण से मुसलमान बादशाहों के वृत्तान्त अपनी पुस्तकों में लिखा करते हैं | क्या ही अच्छी बात हो, यदि कोई इतिहास-रसिक श्रीमान् या साहसी प्रेसप्रोप्राइटर इसका उल्था हिन्दी में करा डाले और इतिहास-प्रेमी भाइयों का उपकार करे । फागन सुदि ११॥ संवत् १९६५
जोधपुर।
देवीप्रसाद,
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