________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भूमिका
आज कल हिन्दुओं में इतिहास की रुचि हो चलने से वे अपने देश और जाति के ही नहीं वरन विदेशियों और विजातियों के इतिहास की तरफ भी ध्यान देने लगे हैं। पहले तो पौराणिक कथाओं के प्रभाव से रामचरित्र, कृष्णलीला और पांडवों के यश के सिवाय और कुछ सुनना ही नहीं चाहते थे, जिससे भारत के असंख्य राजाओं और शूरवीरों के यथार्थ इतिहास, जिन्होंने अपने देश और धर्म, गोब्राह्मण और स्त्रियों की रक्षा के वास्ते प्राण दिये थे, भूल के समुद्र में पड़ कर डूब गये । परन्तु अब अंगरेज़ी पाठशालाओं में, दूसरी विद्याओं के साथ साथ, इतिहासों के पढ़ाये जाने और अंरिज़ विद्वानों के इतिहासों की खोज करने से हिन्दुनों को भी अपने खोये हुए इतिहासों के ढूँढ़ने और पूछताछ करके पुस्तकों में लिखने की उमंग हुई है और अपने पुराने इतिहास के प्रसंग में मुसलमानों के इतिहास को भी जानना चाहते हैं, जो वास्तव में बहुत हैं और ठीक भी हैं। परन्तु जो इतिहास- प्रेमी हिन्दू, उर्दू, फ़ारसी पढ़े हैं वे तो मुसलमानों के उर्दू-फारसी भाषाओं में लिखे हुए असल इतिहासों से और जो अंगरेजी पढ़े हैं वे उनके अंगरेज़ी तजुमों से अपना काम निकाल लेते हैं और जो अंगरेज़ी नहीं पढ़े हैं उनको मुश्किल पड़ती है। क्योंकि अंगरेज़ी भाषा के समान हिन्दी भाषा में मुसलमानों के एक भी इतिहास का पूरा तर्जुमा अब तक नहीं
For Private and Personal Use Only