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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ २५ ] इससे सन् ९२७ (१५७८) में शाह बेग अरगं ने कंधार की तरर्फ से प्राकर ठट्ठा फ़तह कर लिया और समाँ लोगों का राज समाप्त होगया। १ शाहबेग अरगू ... ९२७ १५७८ २ हुसेन शाह अरा, शाह बेग का बेटा ९३० १५८१ ३ मिरज़ा ईसातरखाँ ... ९६२ १६१२ ४ मिरजा बाक़ी ___९६५ १६१४ ५ मिरज़ा जानी ... ९९३ १६४२ इससे सन् १००१ ( १६४९ ) में नवाब खानख़ानों ने सिंध फ़तह कर के अकबर बादशाह की सलतनत में शामिल कर दिया । मुलतान के बादशाह सन् ८४७ ( संवत् १५०० ) में जब सैयदों की सलतनत कमजोर हो गई और मुगलों के हमले काबुल कंधार और गजनी की तरफ़ से मुलतान पर होने लगे तो वहाँ के लोगों ने मिलकर शेख यूसुफ़ मुलतानी को बादशाह बना लिया। उसने लंगा जाति के राय सहेरा की बेटी से व्याह किया था, जिससे राय सहरा ने शेखयूसुफ़ को पकड़ कर मुलतान में अमल कर लिया और अपना नाम कुतुबुद्दीन रख कर बादशाही करनी शुरू की। १ शेखयूसुफ़ मुलतानी ... ८४७ १५०० २ कुतुबुद्दीन लंगा ... ८५८ १५११ ३ शाह हुसेन लंगा कुतुबुद्दीन का बेटा ... ८७४ १५२६ ४ शाह फ़ीरोज़ लंगा हुसेनशाह का बेटा For Private and Personal Use Only
SR No.020950
Book TitleYavanraj Vanshavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Kayastha
PublisherIndian Press Prayag
Publication Year
Total Pages43
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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