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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ २० ] गुजरात के बादशाह शहाबुद्दोन गोरी के समय में गुजरात का राजा भीमदेव सोलंखी था। उसपर सन् ५७४ (१२३५ वा ३६) में शहाबुद्दीन ने मुलतान की तरफ़ से चढ़ाई की । भीमदेव ने लड़कर सुलतान को हराया। बहुत से मुसलमानों को मारा। सुलतान भाग कर बड़ी मेहनत और मुशकिल से गजनों में पहुंचा। ___ सन् ५९३ (१२५४, ५५) में कुतुबुद्दीन ने दिल्ली से चढ़ाई कर के भीमदेव से बदला लिया और नहर वाला ( अनहलपुरुपट्टन ) को फ़तह करके वहाँ अपना हाकिम बैठाया । परन्तु कुतुबुद्दीन के मरे पीछे भीमदेव ने फिर अमल कर लिया। उसके पीछे बीसलदेव, अरजनदेव, सारंगदेव और करण बाघेला बारी बारी से गुजरात के राजा हुए। सन् ६९७ ( संवत् १३५५ ) में अलाउद्दीन की फ़ौज ने करण को निकाल कर गुजरात फ़तह कर ली। तब से फ़ीरोज शाह केसमय तक दिल्ली से गुजरात में हाकिम आते रहे । सबसे पिछला हाकिम जफ़र खाँ था। वह अपने मालिक की कमजोरी से गुजरात का मालिक हो गया । उसकी जाति, कुल और व्यवहार का ब्यौरा इस प्रकार है। ____टांक जाति के कलालों में से दो भाई साद और सारन नाम थानेश्वर के किसी गाँव में रहते थे। एक दिन सुलतान मोहम्मद तुग़लक़ का चचेरा भाई फ़ोरोजखाँ शिकार खेलता हुआ उनके गाँव में जा निकला । साद सामुद्रक जानता था। उसने फ़ोरोज़ खाँ के पाँव में बादशाह होने की रेखा देखकर अपनी बहन उसको ब्याहदी, For Private and Personal Use Only
SR No.020950
Book TitleYavanraj Vanshavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Kayastha
PublisherIndian Press Prayag
Publication Year
Total Pages43
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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