________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रतिभावाधकम् / बिर बि.ज्या- त्र 2 च्या प्रबो न्या: कोज्यान त्रि (वि-रण्या त्र) त्रि - 2 चि ज्यान र न्याई भ. को ज्या ज्याच चि. कोज्याप्र . - = कोस्थप = पृष्ठीय केन्द्रान्तरस्य स्पर्शरेया धाप पूर्वसिद्ध व्यासदलं च -कोछेप पृष्ठीय केन्द्रान्तरण्य छेदनरेखा। अतः सूत्रम् / साधारखमहत्तपृष्ठकेन्द्रान्तरस्य ये। छेदनस्पर्शरेखे ते व्यासकेन्द्रान्तरे ध्रुवम् // 12 // एवं यदि कस्यापि अत्तस्य पृष्ठीय कोन्द्र आधारष्ठ केन्द्रात् अतुल्यान्तरे कलम्यते तव्यासदलं च क तदा पूर्वयुक्त्या प्रतिभाव्यासमानं - स्य 1 ( अ + क )-- स्थ६ (भ-क) नि. ज्या 3 ( अ + क ) त्रिज्या, ( अ- क ) कोमा 3 (+ क ) कोज्या / (-- क ) For Private And Personal Use Only