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चिंस्पाट लो ||४१ || माइक हे थर बि जिवांये ॥ कहे कुटंबिकर शेस हाये ।। बेनक हे करो कंच वो ॥ फुइकरे म. नो रथति से नये ४२ ॥ च्या पखारथें बांधि रामप्रास ॥ जेमरन्यो पाराधिये पा ना ॥ स स ने आशा जुजवि ॥ तंनज तन करे नित्य न वि॥४३॥ खांनपां नें |करी पोषे देह ॥ थाये मोटोप्रा पेरू
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