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ॐ अहम् श्री व्यवहारसूत्रम् । श्रीमदु श्रुतकेवली भद्रबाहद्धरित मूलसूत्रं नियुक्ति समेतम् तदुपरि पूर्वाचार्यप्रणीत भाष्यं श्रीमान् मलयगिरिविरचितविवरणसमेतम् तस्य पीठिका तथा प्रथमोद्देशकस्य प्रथमो विभागः
संशोधको मुनि माणेक. प्रकाशक जैन श्वेतांबर संघसहाय्येन-वकील केशवलाल प्रेमचन्द. बी, ए; एल, एल, बी.
भावनगर-धी आनंद प्रीन्टींग प्रेसमां शाह गुलाबचंद लल्लुभाइ द्वारा मुद्रितम् . वीर निर्वाशाब्द २४१२.
क्राइष्टाद १९२६.
विक्रमाब्द १९८७ प्रथमावृत्ति प्रत ५००
वेतनम-रूप्यक चतुष्टयम.
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