________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsun Gyanmandir * व्याख्याप्राप्तिः // 910 // पभू ण भंते ! ताओ एगमेगा देवी अन्नाइं अट्ठदेवीसहस्साई परिवार विउवित्तए 1, एवामेव सपुब्वाव-| बारेणं चत्तालीसं देवीसहस्सा, से तं तुडिए, पभू ण भंते ! चमरे असुरिंदे अमुरकुमाररायाचमरचंपाए रायहाणीए सभाए चमरंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाई मुंजमाणे विहरित्तए ?, णो तिणद्वे समढे, से १०यतके केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ नो पभू चमरे अमुरिंदे चमरचंचाए रायहाणीए जाव विहरित्तए ?, अलो चमरस्स णं // 910 असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए माणवए चेइयखंभे वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहूओ जिणसकहाओ संनिश्वित्ताओ चिट्ठति, जाओ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो अन्नेसिं च षहणं असुरकुमाराणं देवाण य देवीण य अचणिज्जाओ बंदणिज्जाओ नममणिज्जाओ पूयणिज्जाओ | सकारणिज्जाओ सम्माणणिज्जाओ कल्लाण मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्जाओ भवति तेसिं पणिहाए नो पभू, से तेणट्टेणं अजो! एवं बुच्चइ-नो पभू चमरे असुरिंदे जाव राया चमरचंचाए जाव विहरित्तए, पभू णं अज्जो! चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं तायत्तीसाए जाव अन्नेहिं च बहहिं असुरकुमारेहिं देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे मह| याहय जाव भुंजमाणे विह रित्तए. केवलं परियारिडीए नो चेव ण मेहुणवत्तियं / ( सूत्रं 405) / [प्र०] हे भगवन् ! शुं ते एक एक देवी आठ आठ हजार देविओना परिवारने विकर्बवा समर्थ छ ? [30] हे आर्यों ! हा, ए प्रमाणे पूर्वापर बधी मळीने [ पांच पट्टराणीओनो परिवार चालीश हजार देवीओ छे अने ते त्रुटिक (वर्ग) कहेवाय हे. [प्र०] हे **** *** For Private and Personal Use Only