________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandie २०७तके प्रवाप्तिः %* 15 विहारी थइने घणा वर्ष सुधी श्रमणोपासकपर्यायने पालीने मासिक संलेखनावडे आत्माने सेवे , सेवीने साठ भक्तो अनशान वडे || व्यतीत करीने आलोचन, प्रतिक्रमण करीने समाधिने प्राप्त थाय , अने मरणसमये काळ करी यावत् त्रायस्त्रिंशकदेवपणे उत्पन्न थाय व्याख्या-1 छे. ज्यारथी आरंभीने पलाशक संनिवेशना निवासी परस्पर सहाय करनारा तेत्रीश गृहपतिओ श्रमणोपासको शकना त्रायशिकपणे | उत्पन्न क्या इत्यादि सर्व वृत्तान्त चमरेन्द्रना प्रमाणे यावत् 'अन्य के न्यवे के अने अन्य उत्पन्न थाय छे' त्यांसुधी जाणवो. उद्देश // 908 // अस्थि णं भंते। ईसाणस्स एवं जहा सकस्स नवरं चंपाए नयरीए जाव उववन्ना, जापभिहं च णं भंते ! // 908 चंपिज्जा तायत्तीसं सहाया, सेसं तं चेव जाव अन्ने उववअंति। अस्थि णं भंते ! सर्णकुमारस्स देविंदस्स देवरन्नो पुच्छा, हंता अत्थि, से केणढणं जहा धरणस्स तहेव एवं जाव पाणयस्म एवं अच्चुयस्स जाव अन्ने उववजंति / सेवं भंते ! सेवं भते // (सूत्र 404) / दसमस्स चउत्थो // 10 // [प्र०] हे भगवन् ! ईशान इंद्रने त्रायख्रिश्नक देवो 2 [उ०] शक्रनी पेठे ईशानेन्द्रने पण जाणवू परन्तु विशेष ए छे के ते गृहपतिओ श्रमणोपासको पलाशक संनिवेशने बदले चंपानगरीमा उत्पन्न थयेला छे. 'ज्यारथी चंपाना निवासी त्रायस्त्रिंशकपणे उत्पन्न टीथया'-इत्यादि पूर्वोक्त सर्व वृत्तान्त यावत् 'अन्य उपजे छे' त्यांमुधी जाणवो. [प्र०) हे भगवन् ! देवोना राजा देवेंद्र सनत्कुमारने | वायखिशक देवो छ (उ०] हा, गौतम ! छे. [प्र०] हे भगवन् ! आप एप्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के सनत्कुमार देवेंद्रने त्रायविंशक देवो छ। [उ०] हे गौतम! जेम धरणेन्द्र संबन्धे का ते प्रमाण अहीं जाणवू. ए रीते यावत् प्राणतथी मांडीने अच्युतपर्यन्त यावन् है 'बीजा उत्पन्न थाय छे' त्यांधी कहे. हे भगवन् ! ते एमज छे, हे भगवन् ! ते एमज छे. (एम कही भगवान् गौतम विहरे छे.) भगवत सुधर्मस्वामीप्रणीत श्रीमद् भगवतीसूत्रना: मा शतकमा चोथा उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण थयो. For Prate and Personal Use Only