________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir कस 9 शखके उदेशाव IICOCH | कम्मादाणेसु देवकिदिवसियत्ताए उववत्तारो भवंति', गोयमा!जे इमे जीवा आयरियपडिणीया उवज्झायपडि णीया कुलपडिणीया गणपडिणीया संघपहिणीया आयरियउवमायाणं अयसकरा अवनकरा अकित्तिकरा वहि व्याख्या असम्भाबुब्भावणाहिं मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाणं च 3 बुग्गाहेमाणा वुप्पाएमाणा वतई वासाई सामन्नपप्रजाप्तिः रियागं पाउणंति पा० तस्म ठाणस्म अणालोइयपडिकते कालमासे कालं किच्चा अन्नपरेसु देवकिब्बिसिएसु 1878 // | देवकिन्विसियत्ताए उववत्तारो भवंति, तंजहा-तिपलिओवमहितीएसु वा तिसागरोबमाहितीएसु वा तेरससादागरोवमट्टितीएसु वा / है [प्र.] हे भगवन् ! किल्विषिक देवो केटला प्रकारना कहा ? [उ०] हे गौतम ! त्रण प्रकारना किल्लिषिक देवो कह्या छे. माते आ प्रमाणे-त्रण पल्योपमनी स्थितिवाळा, ऋण सागरोपमनी स्थितिवाळा अने तेर सागरोपमनी स्थितिवाळा. [प्र.] हे भगवन् ! छत्रण पल्योपमनी स्थितिवाळा किल्लिषिक देवो कये ठेकाणे रहे ! [उ०] हे गौतम ! ज्योतिष्कदेवोनी उपर अने ईशानदेवलोकनी | नीचे त्रण पल्योपमनी स्थितिवाळा किल्बिषिक देवो रहे डे. [प्र.] हे भगवन् !त्रण सागरोपमनी स्थितिवाळा किल्बिषिक देवो क्या रहे छे? [उ.] हे गौतम! सौधर्म अने ईशानदेवलोकनी उपर तथा सनत्कुमार अने माहेन्द्र देवलोकनी नीचे त्रण मागरोपमनी स्थि| तिवाळा किल्बिषिक देवो रहे छे. [प्र०] हे भगवन् ! तेर सागरोपमनी स्थितिवाळा किल्लिषिक देवो क्या रहे छ?[उ०] हे गौतम! ब्रह्मणलोकनी उपर अने लांतक कल्पनी नीचे तेर सागरोपमनी स्थितिवाळा किल्लिपिक देवो रहे छे. [प्र०] भगवन् ! किल्विषिक देवो क्या कर्मना निमित्त किल्बिषिकदेवपणे उत्पन्न थाय छे ? [30] हे गौतम ! जे जीवो आचार्यना प्रत्यनीक (द्वेषी), उपाध्यायना For Private and Personal Use Only