________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandie मने अतिशयवाछं ज्ञान अने दर्शन उत्पन्न थयु के, अने देवलोकमां देवोनी जघन्य स्थिति दश हजार वर्षनी के-इत्यादि पू. व्याख्यावोक्त कहे, त्यार पछी देवो अने देवलोको व्युच्छिन्न थाय छे.' त्यार वाद 'आलमिका नगरीमा'-ए अभिलापथी जेम शिव राजर्षि शासन हा उद्देशान // 1017 // 5 माटे पूर्वे कयु [श० 11 उ०९०८] तेम अहीं कहेवु, यावद् ए प्रमाणे केवी रीते होय? हवे महावीरस्वामी समवसर्या अने 151 दयावत् परिषद् वांदीने विसर्जित थइ. भगवान् गौतम तेज प्रमाणे भिक्षाचर्या माटे नीकळ्या अने तेओ घणा माणसोनो शब्द सांभळे छे-इत्यादि पधुं पूर्ववत् कहे, यावद् हे गौतम ! हुं पण ए प्रमाणे कहुं छु, बोल छु, यावत् प्ररूपे छु के देवलोकमां देवोनी जवन्य स्थिति दस हजार वर्षनी कही , अने त्यार पछी एक ससयाधिक, द्विसमयाधिक यावत् उत्कृष्टथी तेत्रीश सागरोपम स्थिति कही | छे, अने त्यार बाद देवो अने देवलोको ब्युच्छिन्न थाय छे. अस्थि णं भंते ! सोहम्मे कप्पे दबाई सवन्नाइंपि अबनाइपि तहेब जाब हंता अस्थि, एवं ईसाणेवि, एवं | जाव अच्चुए, एवं गेवेन्जविमाणेसु अरत्तणुविमाणेसुवि, ईसिपम्भाराएवि जाब हं ता अस्थि, तए ण सा महतिमहालिया जाव पडिगया, तए णं आलंभियाए नगरीए सिंघाडगतिय० अवसेस जहा सिवस्स जाव सव्वदुक. खप्पहीणे नवरं तिदंडकुंडियं जाव धाउरत्तवस्थपरिहिए परिवडियविम्भंगे आलंभियं नगरं मज्झनिग्गच्छति जाव उत्तरपुरच्छिम दिसीभार्ग अवक्कमति अ०१तिदंडकुंडियं च जहा खंदओ जाब पब्बइओ सेस जहा सिवस्स जाव अव्वाबाहं सोक्खं अणुभवंति सासयं सिद्धा / सेवं भंते ! 2 त्ति // (सूत्रं 436) // 11-12 // एक्कारसंमं सयं समतं // 11-12 // EARSte For Private and Personal Use Only