________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandie 109 आ प्रमाणे कर्म्यु-'हे जायों! ऋषिभद्रपुत्र श्रमणोपासक जे तमने आ प्रमाणे कहे के, यावत् प्ररूपे ले के, देवलोकोमा देवोनी जघन्य पाल्पा- स्थिति दस हजार वर्षनी छे, अने ते पछी समयाधिक करता-इत्यादि कहे यावत् त्यार पछी देवो अने देवलोको ब्युच्छिन्न थाय P११शक्के अति . ए वात साची के. हे आर्यो ! 9 पण एज प्रमाणे कहुं , यावत् प्रपुंछ के देवलोकमां देवोनी स्थिति जघन्य दस हजार वर्षनी उमेशन // 10 // छे-इत्यादि पूर्वोक्त कहे, यावर त्यार वाद देवो अने देवलोको व्युच्छिन्न थाय छ, र अर्थ सत्य छे. त्यार बाद ते श्रमणोपासको श्रमण भगवंत महारवीनी पासेथी ए वात सांभळी अने अवधारी श्रमण भगवंत महावीरने बांदी, नमीज्यां ऋषिभद्रपुत्र श्रमणोपासक छे त्यां आवे छे, आवीने ऋषिभद्रपुत्र श्रमणोपासकने चांदी तथा नमी ए अर्थने ( सत्य वातने न मानवारूप अपराधने ) मारी रीते द विनयपूर्वक वारंवार खमावे . त्यार बाद ते श्रमणोपासको तेने प्रश्नो पूछे छे, अने पूछी अर्थने ग्रहण करे के, ग्रहण करी श्रमण | भगवंत महावीरने चांदी नमी जे दिशाथकी आव्या हवा, पाछा तेज दिशा तरफ गया. // 434 / / भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदह णमंसह 20 2 एवं क्यासी-पभू णं भंते ! इसिभइपुत्ते समाणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतिय मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पब्वइत्तए?, गोयमा! णो तिणढे समहे, गोयमा! इसिभहपुत्ते समणोवासए बहहिं सीलब्वयगुणवयवेरमणपचक्खाणपोसहोववासेहिं अहापरिग्गहिएहिं तबोकम्मेहिं अपाणंभावेमाणे बहुई वासाई समणोवासगपरियागं पाउहिति व०२ मासियाए संलेहणाए अत्ताणं सेहिति मा०२ सढि भत्ताई अणसणाई छेदेहिति 2 आलोइयपडिकते समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा सोह-18 Mम्मे कप्पे अरुणामे विमाणे देवत्ताए उववजिहिति, तत्थ ण अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिती RAKAS For Private and Personal Use Only