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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौबीस सनाद्यर्थनिरूपणम् कुदर्थनिरूपणम् नामार्थनिरूपणम् सुबर्थनिणर्यः १३. (क) समासशक्ति निरूपणम् (ख) क्यजाद्यर्थनिरूपणम् (ग) तद्धितार्थनिरूपणम् (वसिम० के इन प्रकरणों में 'वर्णस्फोट' का निरूपण किया गया सनाद्यर्थनिरूपणम् xx कृदार्थनिरूपणम् प्रातिपदिकार्थनिर्णयः नामार्थः सुबर्थनिर्णयः कारकनिरूपणम् वत्तिविचार: समासदिवृत्त्यर्थः (इस प्रकरण में एकार्थीभाव, (इस प्रकरण में वैयासामान्य समास, करणों की दृष्टि से अव्ययीभाव, तत्पु- 'एकार्थीभाव' सामर्थ्य का रुष, ब्रहुव्रीहि, द्वन्द्व, प्रतिपादन तथा नयाएकशेष, क्यजाद्यन्त, यिकों के व्यपेक्षा' तद्धित, वीप्सा इन सामर्थ्य का खण्डन वृत्ति-भेदों के विषय वैभूसा के अनुकरण में विचार किया पर किया गया है) गया है) वैसिलम० में ये पलम० में 'शक्तिनिरूपण' तीनों प्रकरण 'शक्ति प्रकरण के प्रारम्भ में निर्णय' के प्रसंग में तथा 'स्फोटनिरूपण' तथा स्फोट निरूपण प्रकरण में इन तीनों का के प्रकरण में प्रा गये उल्लेख किया गया है। १५. सखण्डपदवाक्यस्फोटनिरूपणम् अखण्डपदवाक्यस्फोटनिरूपणम् जातिस्फोटनिर्णयः पलम० तथा लम० का तुलनात्मक विवेचन एवं पलम० की विशेषता-ऐसा अनुमान किया जाता है कि लघुमंजूषा में विस्तृत रूप से विवेचित एवं चर्चित विषयों को परमलघुमंजूषा में संक्षिप्त रूप से प्रस्तुत किया गया है । परन्तु दोनों के अध्ययन से पता लगता है कि पलम० का अधार सर्वांश में लम० न हो कर कुछ ही अंशों अथवा प्रकरणों तक है। 'शक्तिनिरूपण' से लेकर 'निपातार्थनिर्णय' तक ही पलम० का आधार लम० को माना जा सकता है यद्यपि इन अध्यायों में भी कहीं कहीं कुछ परस्पर विरोधी बातें दोनों ग्रन्थों में देखी जा सकती हैं जिनका उल्लेख आगे किया जायगा । ___ जहाँ तक दोनों ग्रन्थों के प्रकरण-नामों का सम्बन्ध है उनकी स्थिति इस रूप पलम० शक्तिनिरूपणम् लक्षणानिरूपणम् व्यंजनानिरूपणम् स्फोटनिरूपणम् आकांक्षादिविचारः लम' वाच्यवाचकशक्तीनां निर्णयः (कोई निर्देश नहीं) (कोई निर्देश नहीं) (कोई निर्देश नहीं) आकांक्षादिविचार: प्रकरण-नामों की निम्न स्थिति लम के हस्तलेखों के उन-उन प्रकरणों के अन्त के उल्लेखों के आधार पर दी जा रही है। For Private and Personal Use Only
SR No.020919
Book TitleVyakaran Siddhant Param Laghu Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagesh Bhatt, Kapildev Shastri
PublisherKurukshetra Vishvavidyalay Prakashan
Publication Year1975
Total Pages518
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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