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आकांक्षादि - विचार
[ 'श्रासत्ति' का स्वरूप तथा उसको 'सहकारि-कारणता' के विषय में विचार ] प्रकृतान्वयबोधाननुकूल पदाव्यवधानम् 'असत्तिः' । 'गिरिः अग्निमान्' इत्यासन्नम् । श्रनासन्नं च- - 'गिरिर्भुक्तम् अग्निमान् देवदत्तेन' इति ।
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'ग्रासत्तिः' अपि मन्दबुद्धेरविलम्बेन शाब्दबोधे कारणम् । ग्रमन्दबुद्ध ेस्तु श्रासत्त्यभावेऽपि पदार्थोपस्थितौ श्राकांक्षादितोऽविलम्बेनैव बोधो भवति इति न बोधे तस्याः कारणत्वम् । ध्वनितं चेदं "न पदान्त० ( पा० १.१.५७) सूत्रे भाष्ये । 'स्थास्याम् श्रोदनं पचति' इत्यादौ 'स्थाल्याम्' 'इत्यस्य' 'श्रोदन' पदेन व्यवधानेऽपि प्रकृतावयवोधानुकूलत्वाद् ग्रासन्नत्वाक्षतिः ।
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( वाक्य में ) प्रासङ्गिक अन्वय- ज्ञान के प्रतिकूल पदों का व्यवधान न होना 'आमत्ति' है। 'गिरिः अग्निमान् ' ( पर्वत अग्नि वाला है) यह वाक्य 'प्रसत्ति' से युक्त है । 'गिरि: भुक्तम् ग्रग्निमान् देवदत्तेन' (पहाड़ खाया, अग्नि-युक्त, देवदत्त ने यह वाक्य 'प्रसत्ति' से रहित है ।
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'सत्ति' भी अल्प बुद्धि वालों को शीघ्र ' शाब्दबोध' कराने में कारण है । तीव्र बुद्धि वालों को 'ग्रासत्ति' के प्रभाव में भी पदार्थ के उपस्थित होने से, 'अकांक्षा' आदि के आधार पर शीघ्र ही ' शाब्दबोध' हो जाता है । इस लिये
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यह "न पदान्त ०'
' शाब्दबोध' में 'प्रासत्ति' कारण नहीं है। इस सूत्र के भाष्य में संकेतित है । 'स्थायाम् श्रोदनं पचति' (पतीली में भात पकाता है) इत्यादि ( वाक्यों) में, 'स्थाल्याम्' का 'प्रदनम्' इस पद से व्यवधान होने पर भी, प्राकरणिक अन्वय-ज्ञान के अनुकूल होने के कारण, ('प्रोदनम् ' पद से ) 'सत्ति' का नाश नहीं होता ।
'आसत्ति' की जो परिभाषा यहां की गयी उसका अभिप्राय है— उच्चरित पदों का प्रसंगानुकूल जो अन्वय-बोध उसके विपरीत अर्थ वाले पद या पदों का बीच में न आ जाना या दूसरे शब्दों में इस प्रकार के विपरीतार्थक या अननुकूलार्थक पद अथवा पदों का प्रभाव ।
तर्कभाषा में एक ही व्यक्ति के द्वारा अभीष्ट अर्थ का बोध कराने वाले पदों के अविलम्ब उच्चारण को 'ग्रासत्ति' कहा गया है । द्र० --- " एकेनैव पुंसा पदानाम् अविलम्बेनोच्चारितत्वम् (प्रासत्तिः ) " तर्कभाषा - ४ । न्यायसिद्धान्तमुक्तावली में भी 'आसत्ति' का यही अभिप्राय माना गया है - "सन्निधानं पदस्य प्रासत्तिर् उच्यते " ( शब्दपरिच्छेद) ।
हृ० - ' तीक्ष्णबुद्ध:' ।
निस०, काप्रशु० - सत्यषि
निस०, काप्रशु० में इसके पश्चात् 'इत्यासत्ति निरूपणम्' अधिक है ।
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