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॥ रूपकुवर रंगकरि यात्रा निनाएं जाए ॥ ए॥ || ढाल पहिली ॥
वोलेरे पपईया दांजीरे पियुलारे गाढा मारू कोयलगी तो वागांरी रूखवाल ॥ एदेशी ॥
थलवट देशमें हांजीरें दीपतोरे मोहन मोरा जेसा में श्री जिनराज ॥ गढ मढ मंदिर हांजीरे मालियारे मोहन मोरा देख्यां तोरेनयण लोजाय ॥ १ ॥ प्रथम नेटो हांजी महावीरजी रे मोहन मोरा शासण रातो प्रभु सिणगार | पंदरेसेने दांजी इक्वासयेरे मोहन मोरा वरढीयां तो करायो प्राशाद ॥ २ ॥ समरे सासुत दांजी मूलराजजीरे मोहन मोरा जोतो जराया जिन - बिंब ॥ दोय सो पचानु दांजीरे जाणियेरे मोहन मोरा गौतमनेरे गणधर संग || ३ || कोटीक गच्छ में हांजी गुरु सोवतारे मोहन मोरा दीपेश्री जिन कुशलसुरिंद ॥ भविरण भेटो हांजी गुज जावसुरे मोहन मोरा ज्युं सुखपाये थांरो शरीर || ४ || जब २ दीजे हांजीरे मोजणी रे मोहन मोरा चरण कमलरी सेव ॥ वृद्धिचंद प्रभु हांजी जल जेटियारे मोहन मोरा सलादे सुत जिनराज ॥ ५ ॥
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