________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(२१) मंदिरथतिमजबूत ले हेलोसहि० देख्यां हर्षअपार बगीचे के मध्यमे हेलो बगी सहि अमी० ॥ १३ ॥ वृद्धिचंद की वीनती हेलो सहि० माघमास सुदी दूज पाटमहोत्सव दिने हेलो सहित अमी० ॥ १४॥ इति पदं संपूर्णम् ॥
॥ सावनी राजुलकी ॥ क्यों गये छांमगिरनार मेरे जरतारवहीं हमजावें । होगया मुदकमें सोर नेमराजुलको व्याने आवे ॥ क्या सजी रंगीलीजान देख सुरश्न्दर खुशहोजावे। सज २ सोला शिणगार सबी नरनारदेखने पहुंचे। तोरणके पास पशु फुःखपावे सोरमचावे ॥ कुल ॥ पशुवांकीदयाविचारी तबछांमीराजुलनारी । वे जाय चढेगिरनारी कहेजननीं । तुझको पति सुरमा सती अवरपरणावै॥क्यों॥॥आग्यादे मुझको मात मेरीलौ नेमनाथसे लागी।जननीपरणुं नही ओर मेरापति नेमनाथहे सागी। जोगन वनजावु आजमिले महाराज नेमवैरागी। आग्या दीनी मुऊमात सखी सदसातदई वमनागी॥कुल ॥ अब किस्मत खुली हमारी नगवतने विपतविडारी । मे हुश्जगतसे न्यारी अब मिलेपति नगवान । सरे सबकाम येही हम
For Private and Personal Use Only