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नंदन नेटोहोहो । सोवन कायारा जगतारक श्री जिनेश्वर मुखरा० ॥२॥ अजितनाथ युग्मतिर्थंकर ध्यावोहोहो॥ विजीया नंदन अघकाटन॥श्री जिनश्वर मुख० ॥३॥ पुजो प्राणी सेना सुत गुण गावोहोहो ॥ संजव स्वामी अंतरजामी॥ श्री जिनेश्वर मुखरा० ॥४॥ सहस्रफणा जिन वामा सुत सुखकारीहोहो॥ अहि उत्रधारी बी प्यारी ॥श्री जिन मुख० ॥५॥ अष्टापदतीर्थ चौमुख चोबोसेहोहो ॥ त्रिगडे सुरतरु मनमोहे ॥ श्री जिने मुख०॥६॥ चिंतामणी मूलनायक चिंता चुरोहोहो॥ अश्वसेन जीरा छावाहो ॥श्री जिने. मुख० ॥ ७॥ मस्तक पर प्रनु केनीका मुकट सुहावेहोहो ॥ कुंभल कानां में ऊलकावे ॥श्री जिने० मुख० ॥ ॥ प्रनुजी तो दिन में तीन स्वरुप वणावेहोहो साचे चित ध्यावे फल पावे॥श्री जिनेण्मुख०॥ए॥ दादाजी जिनदत्तकुशल गुरुदेवाहोहो॥मूरत्तिसमरयांफलदाता॥श्री जिनेन् मुख०॥१०॥ अष्टायक भैरवकाला और गोरा होहो॥परतिकमणिधारी सांवला॥श्री जिनेण्मुख ॥११॥ सन्मुख तोरण के फरस्यां पातिक जावे होहो॥ तिलकेपर पद्म आसण ॥श्री जिने. मुख०
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