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(८) सानिधीकरे संकट टसेरे ॥ महाराराज ॥११॥ दादासाहब श्रीजिनदत्त सूरिंद॥पार्श्वा कुशक्षकरण कुशलेसरु । गूरु मुरतीरे ॥ महाराराज ॥ १२ ॥ प्रन् जीरी महिमा वरणीनजाय॥ पार्श्व० ॥ कलहलते जे जलहले जिनराजजीरे। महाराराज ॥ १३ ॥ नृप जेसाणे रावल श्री गजसिंह ॥ पार्श्व॥ हीरोइनकी चमावियो फल पावियोरे महाराराज ॥ १४॥ वामसुत श्री चिंतामणि महाराराज॥ पार्श्व०॥ वृद्धिचंद करी विनती सुणली जियेरे ॥ महाराराज ॥ १५ ॥ जगणीसे पंचावन शुनमास ॥ पार्श्व० ॥ नावसुदि दशमी दिने देवीकोटमेरे ॥ महाराराज ॥ १६ ॥ इति पदं सम्पूर्णम् ॥ ॥श्रीवरमसर पार्श्वनाथजीरी
लावणी लिख्यते ।। पाश्वप्रनू पुजो सुखदाई ॥अशुन कर्म हटजाय पलक में प्रजूजी वरदाई ॥ पार्श्व ॥१॥ बाणारसी नगरी में जनम लियो । तव देवंगना थाई। जनम महोत्सव कुबरी करके अति आणंद पाई ॥ पार्श्वः।। ॥२॥ ईशादिक सहु देव मिलीने मेरू गिरजाई॥
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