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मान ॥ २ ॥ राग सोरठ ॥ मनेप्यारोलागैडेजीगढ गिरनार ॥ एदेशी ॥ मनेप्यारोलागे जीप्रन्नुदीदार टेक ॥ शांतिकांतिजसरूपअनोपम करतजगत उप गार मने०॥१॥ जन्मजरानेमरणनिवारी पाम्या शिवसुखसार म०॥२॥ तंतोप्रभुप्रभुप्रनुकरतफिरू प्रभुपोचलोकपार म०॥३॥ सातराजउंचाजइबेठा किमपामंदीदार म० ॥ ४ ॥ रूपनरंगौरविणश रीरे जोतमेंजोतन्त्रीकार म०॥५॥ केवलशापस्वा थीथयाप्रत्न सेवककीनलेइसार म० ॥६॥ उपा दितजिनस्वामीस्वमित इंद्रजितसुखकार म०॥७॥ पुष्पकमंझिकप्रहतमदनसिंह हस्तनिधिमनोहारम० ८॥ चंदपार्श्वअश्वबोधजनकादि विनतिकन्नवपार म० ॥९॥कुमरी पिंडसुवपहरिवास प्रियमित्राधार म० ॥ १०॥ धर्मदेवधर्मचंदप्रवाहित नंदिनाथ गुणधार म०॥ ११ ॥ अस्वामिकपूर्वनाथनीचित्रक कहेजिनदाससुखकार म० ॥१२॥ इति समाप्ता॥ जलचंदनपुष्पधूपनै रथदीपातकैनिवेद्यवस्त्रैः ॥ उपचारवरैवंयंजिनेन्द्रान् रुचिरैरद्यमुदायजामहे ॥ शथ चौवीसमी पूजा लिख्यते ॥ दोहा ॥ चौबीस नामउत्तमजगे इणसमप्रवरनकोइ तीर्थंकरतीरथ पती तरणतारणमनमोइ ॥१॥ संखकल्याणएक नवे करेसुरधनअवतार धातकीपश्चिमऐरवते अना गतेमनोहार ॥ २॥ रागठुमरी ॥ कर्मकोरूपवताये सयगुरुये कर्म० टेक ॥ बज्रपडहसमज्ञानावरणी
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