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क्त श्रावकसंघसिणगार | आणंद काम देवादिक धनधनतसञ्श्वतार ॥ १ ॥ धातकी पूर्वऐरवत नाग तेजगनाथ | पूरणप्रेमेंजावसुं करूंपूजाजोळी हाथ॥ २॥ राग आस्याउरी काफी ॥ जानुप्रभुविन
पनूंन कोई कायाचलतप्राणसेरोई एदेसी ॥ मा नोप्रभुविनतारन कोई तारकहोयेतारेसोई एटेक ॥ प्रापनतरे और कोंक्युतारे ज्यूंपत्यरजलजोई काष्टप्र वहणतारकजगमे जानतसबजगजोइ ता० ॥ १ ॥ केsप्रिया संग केईकरवाण लंगअजोग्यजगोई नइमु द्राएतारककेरी कहारैयेमनमोई ता० ॥ २ ॥ शांत मुद्राप्र बैठे पद्माणै निश्चेशिवपुंज होई जिन नि
करततरे कई जाणोप्रवचनेसोइ ता० ॥ ३ ॥ वि जयप्रज्ज्ञनारायणसत्यप्रज्ञ महामृगेंद्रमनमोई चिंता मणी सोगिनधिमृगेंद्र उपवासितमनमोई ता०४ ॥ पद्मचंद्रबोधकेंद्र चिंतादिक उतराहिकमलधोई पाशितदेवजलनारिक अमोघनागेंद्र दुखखोई ता० ५ ॥ नीलोत्पलञ्छ्प्रकंपपुरोहित उन्नयेंद्र पार्श्वना थ निवचसवियोषितसेवितनावे जिनदासकशिव साथ ता० ॥ ६ ॥ इति समाप्ता ॥ जलचंदनपुष्पधूपनै रथदीपाकृतकैर्निवेद्य वस्त्रैः ॥ उपचारवरैर्वय जिनेंद्रान् रुगिरैरद्यमुदायजामहे १ ॥
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थ बावीसमीपूजा ॥ दोहा ॥ बाविसेपरीसहदु ख खमैं महामुनिराये । समितिगुप्तिमनधारके वं दीजेतखपाय ॥ १ ॥ धातकीपश्चिमऐरवत अतीते