________________
( ५९ >
ज्युंफलदिये आवपाषाण ज्युंगंधचंदनकपाण ज्युंजि नकथणीगुणखाण इस्तवता होयेनिरवाण कथ० ॥ १ ॥ अर्णवेप्रवहणनागो जीवेज्युंफलककरलागो त्युं जवसमुद्रेपुन्यवान जिननामफलकगुणखान कथ० ॥ २ ॥ दवलागोवनमकार तिहांउदकसरणुंसुखका र । अघदवनववनमकार जिननामसरणुंचितधार कथ० ॥ ३ ॥ पंथीनरचोरेफसायो बोळावेकोइसुर छायो । त्योंकर्मचोरसुमोये श्रीजिनविनभरनको ये कध० ॥ ४ ॥ विश्वंदुकपिलजिननाम वृषनप्रि यतेस्वाम । वर्षमप्रसमचारित्र प्रनामंजुकेसी मित्र कथ० ॥ ५ ॥ पीतवाससुरारिपुस्वामी दयानाथस हसनुजगामी । जिन सिंहश्रीरेषकबाऊ पलियो गयोग्यगुणगाऊं कथ० ॥ ६ ॥ कामरिपुरण्यबाऊ नेमिक नाम जगनाउ श्रीगर्भज्ञानी अजित जिनदास नयामनशीत कथ० ॥ ७ ॥ इति संपूर्णा ॥ ॥ जलचंदन पुष्पधूपनै रथदीपाकृतकैर्निवेद्यवस्त्रैः ॥ उपचारवरैर्वयजिनेन्द्रान् रुचिरैरद्यमुदायजामहे ॥ अथ नवमी पूजा ॥ दोहा ॥ चिंतामणिनवध्याइये पहिरोनवसिणगार | नवसेतनमनलाइये परहरनवे असार ॥ १ ॥ धातकी पश्चिमत्नरतमें अनागते चौवी स । रत्नकेसादेप्रनु प्रणमंतापदा ॥ २ ॥ रा गतोळी ॥ देसी उपरली वै ॥ कथणीविकथा दुखका री कथितागयेन रकमकारी कथणी एटेक ॥ जिन वचनउथापकप्राणी दुरगततेतेगये नाणी देखोप