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विवेकसार
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सेठ नीमसी रतनसीयें तथा मुनि जसवंत सागरजी ये करेला ज्ञानोपकारना साहाज्यथकी
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सा० हीरजीहंसराजे नवीन कृती करीने
तथा सूत्रनी कथान विगरे
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उपाध्यायौौरामचन्द्रजीना शिष्य मुनि नानकचंदजी पासे थी
सुद्धकरावीने
छपायोके पहिली दफे )
(फीपुस्तक दाम १००० हजार)
२) रुपैया ।। s ईसवी सन् १८७८ जनवरी १८
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