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यात्रा आनन्द से समाप्त हो । जहां जहां आप जायें, वहां वहां आशीर्वचनों की बृष्टि हो, हमारे धर्म के महान सिद्धान्तों के समझाने में और प्रसार करने में भापको सफलता हो, यही हम प्रार्थना करते हैं । पूर्वीय दंशकी दिव्य भूमि की भूत पूर्व उज्वल स्थितिके पुनरुद्धार यशस्वी फच लेखक मि० हयुगोये को आशा थी। कि वह पुनरुद्धार अमेरिका में जाकर हुआ। भारत और अमेरिका का भौतिक सुधारों से जो थोडासा परस्पर संबन्ध हुवा है उसके द्वारा हमारे अध्यात्म ज्ञान के
और प्रसार की तथा स्थायी भ्रातृभाव की प्राशा है। - हम उस दिनकी प्रतीक्षा बड़ी उत्सुकतासे कर रहे हैं जिस दिन भाप जन समाज की अनिवार्य और निःशुक्ल शिक्षा के महान सिद्धांत में निपुणता प्राप्त करके यहां वापिस लौटेंगे
और उसके प्रचार के लिये आप कार्य करेंगे । इसी प्रश्न पर हमारे देश का भविष्य सुख निर्भर है।
भवदीय बम्बई
प्रेमचन्द रायचन्द सा. २० अगस्त १८६६ मीटिंग के प्रेसीडेंट अमरचन्द तिलकचन्द मोतीचन्द देवचन्द प्रेसीडेंट आनरेरी सेक्रेटरी श्रीमांगरोल जैनसांगीतमंडली
• To.
Vir Chand Raghavji Gandhi Esqr. B.A.MRA, Dear Brother,
We, your friends and admirers, have assembled here to day to give expressions to our sentiments of deep gratitude andh igh admiration, which we so şircerely
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