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(७२४)
श्री विपाकसूत्र
[परिशिष्ट नं०२
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दह
पंक्ति शब्द
२ दुइज्जमाण ३ देवाणुप्पिय १देसप्पन्त
देसीभासा ८ देहवलि
६१६
३२ ११२
३४६
दाम
शब्द
४५१ दात्र
२३२ दाओयरित्र ३७६
२१८ दाय
३६७ दार
२२ दारग दारिय ३६७ दालिम ४३३ दाह दाहिणपुरथिम ५२ दिज्ज दिट्ठ
पंक्ति शब्द १८/नमंसित्ता २३/नह च्छेयण ४ नाडअ हनामधेज्ज
नास १८ निक्कण ४ निकत्वमण निक्खेव निगर निग्गच्छइ निग्गन्थ
१६६
२१ दोच्च
३४६
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निग्गम
१६२
nnn.monsces) 06
धमणि धम्म धम्मायरिय धरणीतल धरिम धसत्ति धाती धिति
दिट्ठी
१६१
निग्गम
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दिएण
(निच्चे
निच्छूड
दिसिभा दीह
२२ ४३३
१६२ १५७ १६६ २०४ ४०६
निडाल
१७५
धया
दुग्ग
१४१
व
घउज
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दुञ्चिरण दुद्ध दुद्धिय दुप्पडिक्कंत दुप्पडियाणंद दुप्पहंस
निच्छा नित्तेय नित्थाण निदाण निद्धरण ३ निप्पक्ख १५ निप्पारण
निप्फन्न निब्भय
नक्क नगर
४३३
२२
१६२
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२०४
दुव्वल
६८७
६/नत्तु
६ नत्तुइणी.
१३७
२०४ २०४
१६२
नियग
दुल्लभ दवार दुवे
१४६ १६२
२०४
६/नतुई ११ नत्तुयावई २नस्थि १६ नदी ८/नपुसगकम्म
२२
61
६ नियत्त २१ नियत्थ १५ नियल
१२३
दुहट्ट
१७६
निरुवसग्ग
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