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३६४]
श्री विपाक सूत्र
अध्याय
पदार्थ-तते ण- तदनन्तर । से-वह । दिसेणे-- नन्दिषेण । कुमारे - कुमार । सिरिदामस्स-श्रीदाम । रराणो-राजा के । अंतरं-मारने के अवसर को । अलभमाणे-प्राप्त न करता हुआ । अन्नया-अन्यदा । कयाइ - कदाचित् । चित-चित्र नामक । अलंकारियंअलंकारिक - नाई को । सद्दावीत २ ता-बुलाता है, बुला कर । एवं- इस प्रकार । क्यासीकहने लगा । देवाणुप्पए !-हे भद्र ! । तुम ण-तुम । सिरिदामस्स-श्रीदाम । रराणो-राजा के। सव्वट्ठाणेसु - शयनस्थान, भोजनस्थान आदि सर्व स्थानों में। सव्वभमियासु-सर्व भूमिकाओं अर्थात् राजमहल की सभी भूमिकाओं - मंजिलों में । य-तथा । अन्तेउरे-अन्तःपुर में। दिएणवियारे - दत्तविचार हो अर्थात् राजा की ओर से जिस को आने जाने की आजा मिली हुई हो, ऐसे हो, तथा । सिरिदामस्स-श्रीदाम । रराणो-राजा का । अभिक्खण २-पुनः २ । अलंकारियं कम्म- अलंकारिक कर्म-क्षौरकर्म । करमाणे- करते हुए । विहरसि- विहरण कर रहे हो । तरण - इस लिये । देवाणुप्पिए!-हे महानुभाव! । तम-तुम ने । सिरिदामस्स. - श्रीदाम । रराणोराजा का । अल कारियं कम्म-अलंकारिक कर्म । करमाणे-करते हुए, उसकी । गीवार - ग्रीवा -- गरदन में । खुर-तुर - उस्तरे को । निवेसेहि-प्रविष्ट कर देना । तगणं - तो। अहंमैं । तुम-तुम को । अद्वरज्जियं करिस्लामि-अर्द्धराज्य से युक्त कर दूंगा अर्थात् तुम्हें आधा राज्य दे डालूगा । तुम-तुम । श्रम्हहिं - हमारे । सद्धि-साथ । उराले - उदार-प्रधान । भोगभोगे - काम भोगों का । भु'जमाणे-उपभोग करते हुए । विहरिस्ससि-विहरण करोगे । तते णं - तदनन्तर । से-वह । चित्त-चित्र नामक । अलंकारिए-अलंकारिक-नाई । णंदिसेणस्सनन्दिषेण । कुमारस्स-कुमार के । एयम8-एतदर्थक --उक्त अर्थ वाले । वचनं - वचन को । पडिसुणेति- स्वीकार करता है । तते णं-तदनन्तर । तस्स-उस । चित्तस्स - चित्र नामक । अलंकारियस्स-अलंकारिक को । इमे- यह । एयारूवे-इस प्रकार के । जाव-यावत् विचार। समुप्पज्जित्था-उत्पन्न हुए । जति णं-यदि । सिरिदामे-श्रीदाम राजा । मम-मेरी। एयमइस बात को । आगमेति-जान ले । तता णं-तो । ममं-मुझे । ण णज्जति-न जाने अर्थात् यह पता नहीं कि वह । केणइ-किस । असुभेणं-अशभ । कुमारेणं-कुमौत-कुत्सित मार से । मारिस्सति-मारेगा । त्ति कह -ऐसे विचार कर । भीए ४-भीत-भयभीत हुआ, त्रस्त अर्थात् यह बात मेरे प्राणों की घातक होगी, इस विचार से त्रस्त हुआ, उद्विग्न -प्राणघात के भय से उस का हृदय काम्पने लगा, संजातभय अर्थात् मानसिक कम्पन के साथ २ उस का शरीर भी कांपने लगा, इस प्रकार भीत, त्रस्त, उद्विग्न और संजातभय हुआ वह । जेणेव - जहां पर । सिरिदामेश्रीदाम । राया.-राजा था । तेणेव-वहीं पर । उवागच्छइ २ ता-श्रा जाता है, अाकर । सिरिदाम-श्रीदाम । रायं-राजा को । रहस्सियं-एकान्त में । करयल० – हाथ जोड़ । जावयावत् अर्थात् मस्तक पर दस नखों वाली अंजली रख कर | एवं-इस प्रकार । वयासी- कहने लगा । एवं-इस प्रकार । खलु-निश्चय ही | सामी!-हे स्वामिन् ! । गंदिसेणे-नन्दिषेण । कुमारे-कुमार । रज्जे-राज्य में । जाव-यावत् । मुच्छिते. ४ - मूछित, गृद्ध ग्रथित और अध्पुपपन्न हुआ । तुन्भे-आप को । जीविताओ-जीवन से । ववरोवेत्ता- व्यपरोपित कर अर्थात् आप को मार कर । सयमेव-स्वयं ही । रज्जसिरिं-राज्यश्री- राजलक्ष्मी का । कारेमाणेसंवर्धन कराता हुआ । पालेमाणे-पालन करता हुआ । विहरित्तए - विहरण करने की । इच्छतिइच्छा रखता है । तते णं-तदनन्तर । से-वह । सिरिदामे-श्रीदाम । राया--राजा । चित्त
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