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पञ्चम अध्याय ]
हिन्दी भाषा टीका सहित ।
[३५३
चोरे य-चोरों को । पारदारिए य-परस्त्री-लम्पटों को । गठिभेदे य-गांठकतरों को । रायावगारी य-राजा के अपकारियों -- शत्रुओं को, तथा । अणधारए य-ऋणधारकों - कर्जा नहीं देने वालों को अर्थात् जो ऋण लेकर उसे वापिस नहीं करते हैं, उन को। बालघाती य-बालघातियों-बालकों की हत्या करने वालों को । वीसंभघाती य-विश्वास-घातकों को । जतकारे य-जुबारियों को अर्थात् जुवा खेलने वालों को । खण्डप य'-और धूतों को । पुरिसेहि-पुरुषों के द्वारा। गेराहावेति गेराहावेत्ता -पकड़वाता है, पकड़वा कर । उत्ताणए -ऊर्ध्वमुख-सीधा, पंजाबी भाषा में जिसे चित्त कहते हैं । पाडेति -गिराता है, तदनन्तर । लोहदंडेण-लोहदण्ड से । मुहं -मुख को । विहाडेति २-खुलवाता है, खुलवा कर । अप्पेगतिए-कई एक को । तत्तं तंबं-तप्त - पिघला हुआ ताम्र – ताम्बा । पज्जेति-पिलाता है । अप्पेगतिए-कई एक को । तउयं-त्रपु-रांगा। पज्जे. ति-पिलाता है । अप्पेर्गातए-कितने एक को । सीसग- सीसक-सिक्का । पज्जेति- पिलाता है । अप्पेगतिर-कितने एक को । क नकल-चूर्ण मश्रित जल को अथवा कलकल शब्द करते हुए गरम २ पानी को । पज्जेति - पिलाता है। अप्पेगतिए-कितने एक को । खारतेल्लं-क्षारयुक्त तेल को पज्जेति-पिलाता है । अप्पेगतियाणं-कितनों का । तेणं चेव-उसी तैल से । अभिसेगं कारेतिअभिषेक-स्नान कराता है । अप्पेगतिर-कितनों को । उत्ताणे -ऊर्ध्वमुख-सीधा । पाडेति २गिराता है, गिरा कर । आसमुत्त-अश्वमूत्र । पज्जेति-पिलाता है। अप्पेगतिए-कितनों को। हत्थिमुत्तं- हस्तीमूत्र । पज्जेति-पिलाता है। जाव-यावत । एलमत्त-एडमूत्र-भेडों का मूत्र । पज्जेतिपिलाता है । अप्पेगतिर-कितनों को। हेट्टामुहे-अधोमुख –ोंधा । पाडेति २-गिराता है, गिरा कर । घलयलस्स-घल घल शब्द पूर्वक । वम्मावेति-वमन कराता है । अप्पेगतियाणं-कितनों को । तेणं चेव-उसी वान्त पदाथ से । श्रोवीनं-पीडा । दलयति-देता है। अप्पेगतिए-कितनों को। दुयाहिं- हस्तान्दुकों-हाथ में बांधने वाले काष्ठनिर्मित बन्धनविशेषों, से । बंधावेइ-बंधवाता है । अप्पेगतिए-कितनों को । पायंदुयाहि-पादान्दुको-पांव में बांधने योग्य काष्ठनिर्मित बंधनविशेषों से । बंधावेइ-बंधवाता है, तथा । अप्पेगइए-कितनों को। हडिबंधणे - काष्ठमय बंधन (काठ की बेडी) से युक्त। करेति - करता है । अप्पेगतिर-कितनों के । नियलबंधणे-निगडबंधन-लोहमय पांब की बेडी से युक्त । करेति-करता है । अप्पेगतिए-कितनो के अगों का। संकोडियमोडियए करेति-संकोचन और मरोटन करता है, अर्थात् अंगों को सिकोडता ओर मरोडता है । अप्पेगतिए-कितनों को । संकलबंधणे करेति-सांकलों के बंधन से युक्त करता है अर्थात् सांकलों से बांधता है । अप्पेगतिए -कितनों को । हत्थछिराणए करेति - हस्तच्छेदन से युक्त करता है अर्थात् हाथ काटता है । जाव - यावत् । सत्थोवाडिए करेति - शास्त्रों से उत्पाटित- विदारित करता है अर्थात् शस्त्रों से शरीरावयवों को काटता है । अप्पेगतिए-कितनों को । वेणुलयाहि य-वेणुलताओं -- बैंत को छड़ियों से । जावयावत् । वायरासीहि य-वत्कल - वृक्षत्वचा के चाबुको से। हणावेति-मरवाता है । अप्पेगतिएकितनों को । उत्ताणए - अर्ध्वमुख । कारवेति २-करवाता है, करवा कर । उरे- छाती पर । सिलं -- शिला को । दलावेति २-धरवाता है. धरवाकर । ल उलं-लकुट -लक्कड़ को । छुभावेति २रखवाता है, रखवा कर । पुरिसेहिं-पुरुषों द्वारा । उक्कंपावेति-उत्कम्पन करवाता है । अप्पेगतिए
(१) खण्डपट्ट शब्द का विस्तार-पूर्वक अर्थ पृष्ठ २०१ पर लिखा जा चुका है ।।
(२) इस पद के स्थान में कहीं-छडछडस्स-ऐसा, तथा-बलस्स-ऐसा पाठ भी मिलता है। "-छडछस्स-"का अर्थ है - छड २ शब्द पूर्वक, तथा"-बलस्स-"का-बलपूर्वक - ऐसा अर्थ होता है।
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