________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पहला हिस्सा
की तरफ़ लंबे लंबे और तीखे तीखे दो दांत होते हैं। और वो ताल से चिपटे रहते हैं ॥ उन दांतों की जड़ में दो यो लयां सी होती हैं और उन्हीं में तेल सा पीला पोला चमकता हुआ जहर भग रहता है। जब सांप किसी को काटता है तो वह दांत खड़े हो जाते हैं और उन्हीं को राह ज़हर घाव में पहुंचता है | जो सच मुच सांप का ज़हर आदमी के लाहू से मिल जावे तो फिर कोई भी इलाज कुछ काम नहीं करता है। आदमो मर हो जाता है ॥ जहां सांप काटे तुतं उसके ऊपर रस्सी पट्टी रूमाल दुपट्टा जो कुछ मिल जावे उस से ऐसा कस कर बांध देवे । कि ज़हर मिला लोह चढ़ कर बदन में फैलने न पावे ॥ या जहां सांप ने काटा हो उस को विसी तेज़ छुरी से बिलकुल काट डाले तो अलबत्ता कुछ फाइदा हो सकता है। बिना छेड़े सांप बहुत कम काटता है ॥ ___ कोड़े.भी पखेरुओं की तरह अंडे देते हैं। लेकिन उन पर बेठकर सेते नहीं वो धप को गर्मी से पकते हैं । और इसी लिये ऐसी जगह अंडे देते हैं जहां धप लगे । और जवाब फटकर बच्चे निकले तो उन्हें खाने को मिल सके । । ___ अक्सर कछुए सौ के लग भग अंडे देते हैं। और उन को, पानी के किनारे बाल से ढांकते हैं ॥ जब वो सूरज को गर्मी से पक कर फूटते हैं। बच्चे कूद कूद कर आप से आप पानी में चले जाते हैं ॥ मा बाप को उन की कुछ संभाल नहीं करनी पड़ती वही सब का मालिक और पैदा करने वाला उन की संभाल करता है । और सोचकर देखा तो हम तुम सब को निरा उसी का भरोसा है। कीड़े बे खाये भी बहुत दिन जो सकते हैं। कछए अक्सर सवा सौ बरस से भी जियादा जीते रहते हैं।
For Private and Personal Use Only