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बिचास्पोशी
५३८ शिक्षण याने सत्-संगति । शिक्षणकी इससे भिन्न व्याख्या मैं नहीं कर सकता।
___ आश्रममें एक कुत्ता था। वह प्रार्थनाका घंटा बजते ही नियमितरूपसे प्रार्थनामें आया करता था। उसने हमें नियमधर्म सिखाया। जिस दिन वह मरा, उस दिन आश्रमवासियोंने एक जूनका उपवास रखा।
. ५४० मेरे धर्म में उपासना ऐच्छिक है, और इसलिए अनिवार्य है।
ममत्व-बुद्धिका मर्मस्थान यह है कि उसकी बदौलत मनुष्य अपनी सार्वभौम सत्ता गंवा बैठता है।
५४२ उपासना याने ईश्वरके निकट बैठना ; अर्थात् जहां बैठे हों वहां ईश्वरको लाना।
५४३ __ पहले संसार कैसा है यह देखना और फिर उसपरसे सिद्धांत कायम करना-यह वैज्ञानिक विचार-पद्धति है। समाधिमें सिद्धांत स्फुरित हुआ, अब संसार वैसा होनेके लिए बाध्य ही हैयह आध्यात्मिक निर्विचार पद्धति है।
__ पुरुष दोपकके जैसा है। वीर्य तेलकी जगह है। प्रारण बत्ती, और प्रज्ञा ज्योति । 'दीपकाय नमोनमः' !
५४५ साम्य कई हैं। पर उन सबमें ब्रह्मसाम्य अंतिम और श्रेष्ठ है।
प्रह्लादने नव-विधा भक्ति बतलाई है। लेकिन भक्ति
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