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विचार- पोथी
१
आध्यात्मिक व्यवहार याने स्वाभाविक व्यवहार याने शुद्ध व्यवहार |
२
हिन्दू धर्मका स्वरूप : आचार सहिष्णुता, विचारस्वातन्त्र्य, नीतिधर्म के विषय में दृढ़ता ।
३
प्राप्तोंकी सेवा, सन्तोंकी सेवा दुःखितोंकी सेवा और द्वेषकर्ताओं की सेवा - यह सर्वोत्तम सेवा ।
3
४
असत्य में शक्ति नहीं है । अपने अस्तित्व के लिए भी उसे सत्यका आश्रय लेना अनिवार्य है ।
५
सत्य, संयम, सेवा - यह पारमार्थिक जीवनकी त्रिसूत्री है।
जीव- शुद्ध, प्रसिद्ध । आत्मा - शुद्ध, प्रसिद्ध । ईश्वर - शुद्ध, सिद्ध ।
७
ईश्वर, गुरु, आत्मा, धर्म और सन्त ये पांच पूजा-स्थान ।
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