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प्रस्तावना (उपोद्घात)
धियोयोनःप्रचोदयात् ॥ अर्थः जो परमात्मा हम सर्व के बुद्धियोको प्रेरना करे है तिस परमात्मा करके प्रेरित भयीजा हमारी बुद्धि तिस बुद्धि करके मुमुक्षुयो के अपरोक्षज्ञानार्थ तथा संस्कृतिमे वेदांत संबंधि संभाषणार्थ यह विज्ञान कमलाकर नामा ग्रंथ निर्माण भया है जिसमे षट् शास्त्रोंका संक्षेपसे वर्णन तथा अपरोक्ष ज्ञानोपयोगी अष्टावक्रादिकों के प्रश्नोनर दिखाय ग्रंथ समाप्त कीया है सो अंतमे सूचीपत्र द्वारा 'पचीस' कमलोंमे प्रसिद्ध कीया है तिस ग्रंथकी लोकमे प्रसिद्धिं वास्ते निष्काम प्रेरनासे जिनधर्मानुरागी धन द्वारा मुद्रणालयमे मुद्रत करने वास्ते अगाउसे ग्राहक हुवा है तिन महाशयोका नाम. रु. १३५) शेठि नारायणदास देवीदास महिता ठे० सम्परा.
९०) श्री महंत लक्ष्मणगिरि ठि० मोटा गोपनाथ. ५०) रा. रा. छगनलाल घेलामाई डेप्युटी आ. पो. एजंट गोधरा. २०) रा. रा. लक्ष्मीशंकर ठाकरसी पंड्या जवेरी ठि० महुवा. १५) रा. रा. बछराज नगरशेठ ठि० महुवा. १५) शेठि माधवजी दलपतराम ठि० जांजमेर.
५) श्री महंत गोगाराम ठि० पीपावाव. १०) दुर्लभ परशोतम तथा गोरधरभाइ ठि० महुवा.
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