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________________ षोत्तममाधिदैविकंवंदे // 54 // ॥इतिश्रीवेदांतचितामणौशैवशाक्तमतविचारोनामद्वादशंप्रकरणं // 12 // 7 // बल्लवीवल्लभोनानाधामन्यक्षरनामनि // कलयललितालीलाःसदासस्तादनुपही।। 1 // अधिदैवादिभेदेनब्रह्मणोऽस्तित्रि / रूपता / क्षरोऽक्षरइतिद्वधातथाचःपुरुषोत्तमः॥२॥ पूर्णानंदमयाकारःसर्वाकारानुभावनः // सच्चिदानंदरूपोऽसत्पदा स्पृष्टविपहः // 3 // अलौकिकीभिःस्वाजिन्नाभिनित्यानंतशक्तिभिः // स्वाभाविकीभिरपराहतकार्याभिराश्रितः।। Home // विरुद्धसर्वधर्माणामेकाधारोऽविरोधतः // अप्राकताखिलगुणोनिर्गुणोऽविकतोविभुः // 5 // नित्यःपूर्णोऽव्ययो / dव्यामएकएकरसःसदा // क्षेयःकृष्णःपरंब्रह्मप्रमासुपुरुषोत्तमः॥ 6 // अन्यत्तस्याक्षररूपंसच्चिदानंदमात्रकं // तद्रूपंगेणि तानंदपूर्णानंदोहरिःस्वयं // 7 // सैषानंदस्यमीमांसाभवतीत्यादिनाश्रुतौ // विध्योनंदाच्छतगुणोऽक्षरानंदोहिगण्यते // 8 // आनंदमात्रकरपादमुखोदरताहरेः / तदानंदमयोऽभ्यासादितिसूत्रेसमर्थितम् // 9 // अन्येतुभगवद्धर्माःसर्वेत हरीच्छया // आविर्भावतिरोभावशालिनःक्रीडनास्पदे // 10 // व्याप्तोऽक्षरःस्वयंव्याप्तोव्याप्तिर्दुग्धांबुवढ्योः // उभे ! -- 1 गोपीप्रियः 2 विविधाः इदंलीलाविशेषणं 3 सदेतिपृथक्पदं दाससहितइतिवा अस्मिन्पक्षेएतत्तदोःमुलोपइत्यस्यामवृत्तावपिखपरेशरिवा कविसर्गलोपोवक्तव्यइतितल्लोपः 1 पूर्णत्वंअक्षरवद्गणनाशून्यत्वमानंदे 5 सत्वादिगुणत्रयरहितः 6 वेदादिप्रमाणेषु 7 पुरुषोत्तमस्य 8 अक्षराख्यं 9 शारीरादिसर्वसुखोपेतचक्रवर्त्यानंदापेक्षयासहस्रगुणितपरार्द्धगुणानंद श्रुतौब्रह्मवल्लयां 11 प्रजापल्यानंदात् 12 पुरुषोत्तमस्य१३यतोवाचइति लोके वाचनसनिवृत्तिकथनात्परानदेवाग्विषयगणनाराहित्यमित्यादि 14 अक्षरे -
SR No.020884
Book TitleVedant Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages103
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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