SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 58
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -चि. तस्मात्सृज्यतयानैवघटतेऽस्यानिमित्तता // शक्तिमत्पारतंत्र्यंचशक्तित्वावधोदितं // 39 // तन्नात्रविस्मयःकार्यो / योगनिद्राजगत्पतेः // महामायाहरेश्वैषातयासमोझतेजगत् // 40 // इत्युक्तंप्रथमाध्यायेतथानारायणीस्तवे // या| देवीसर्वभूतेषुविष्णुमायेतिकथ्यते // 41 // परत्वंतत्रशक्तित्वाभिप्रायेणनिरूपितं // त्वयेतिकरणजे यशक्ते!कर्तृतो / चिता / / 42 // विसृष्टीसृष्टिरूपात्वंस्थितिरूपाचपालने / तथासंदृतिरूपतिजगतोऽस्यजगन्मये // 43 ॥जगन्मयेभगव तित्रिधाशक्तिस्तुयास्थिता / / तद्रूपात्वमितिस्तुत्यात्वयेतिकरणंध्रुवम् // 44 // समवायिनिमित्तंचब्रह्मैवश्रुतिसंमतं / वि भूतीनांचमाहात्म्यंब्रह्ममाहात्म्यबोधकं // 45 // राज्ञःस्तुतावमात्यादिप्रशंसापर्य्यवस्यति // स्तुतःक्वचित्पुराणेषुतत्तद्रूप। स्ततोहरिः॥ 46 // आकाशात्पतितंतोयंयथागच्छतिसागरं // सर्वदेवनमस्कार केशवंप्रतिगच्छति // 47 // येयथामा प्रपद्यतेतांस्तथैवभजाम्यहं / इत्यादौफलदःपूज्यस्तत्तदंशीसएव हि // 48 // पूर्वोक्तपायवाक्ये पिस्फुटाभगवदंशता / / तंत्रशास्त्राण्ययुक्तानिमोहनायकतानियत् // 49 // अतस्तदनुसारेणमद्यमांसंचमैथुनम् // मन्वानाउत्तमकौलाऽऽयायां / तियमयातनाः // 50 // तच्छाक्तकिरणेतंत्रकिरणेऽन्यत्रदुर्मतं // दुर्गापाठविश्त्यादौविस्तराषितंमया // 51 // तस्मा त्तदद्वयंब्रह्मलीलायभावितद्वयं // विमोहशास्त्रसंधांतरशक्यंज्ञातमासरैः।। 52 ॥दैवाभजंततत्स्वाचार्योक्ताक्यापरा त्परम् // सदानंदवेदरीत्यानथमंतुचमोहकैः॥ 53 // पडारपदेयोऽध्यात्मेकीडतिसदास्वरूपेण // अधिभूतक्षरकर्त्तापुरु , त्वयैतद्धार्यतइतिवाक्ये 2 समभ्यंतमिदं / सौराःशवाइतिवाक्ये 1 स्वरूपभूते 5 अक्षराख्ये 6 स्वधाम्नि
SR No.020884
Book TitleVedant Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages103
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy