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________________ वेचि- नंदरूपमेवास्यहस्तपादादिकंयतः // 16 // प्रजायेयप्रकष्टोहंजायेयेतीष्टवास्तुयत् // ऐश्वर्यादेःसविषयत्वायधर्मास्त / थोकरोत् // 17 // षट्रधर्माभगशब्दनैश्वयंवीर्ययशस्तथा // श्रीनिंचविरागश्चनित्याभगवतोखिलाः॥ 18 // विष्णुपुरा जाणाऐश्वर्यस्यसमयस्यवीर्यस्ययशसःश्रियः ॥ज्ञानवैराग्ययोश्चैवषण्णांभगइतीरणा // 19 // ऐश्वर्यादितिरोभावाज्जीवा नांदीनतांदिकं // तिरोहितंततोरस्यसूत्रेबंधविपर्ययो॥२०॥ बंधश्वतष्टयाशावाद्याभावाद्विपर्ययः // पराभिध्याना तुतिरोहितंततोहस्यबंधविपर्ययौ // अत्रत्येश्रीमदाचार्भाष्येतत्सुप्रपंचितं // 21 // माययानिमितविद्याविद्यशक्ती प्रभोःस्वयम् // जीवस्यैवततोबंधोमोक्षोनांशांतरस्यसः॥ 22 // (स्कंध 11 अ० 11 श्लो०३४) विद्याविद्यममतन विध्युद्धवशरीरिणाम् // मोक्षबंधकरीआद्येमाययामेविनिम्मिते // 23 // एकस्यैवममांशस्यजीवस्यैवमहामते // बंधो स्याविद्ययानादिविद्ययाचतथेतरः॥ 24 // सुखदुःखाद्यनभवोऽपिजीवस्यैवकेवलं // चिदभावाज्जडेंतर्यामिण्यानंदा तिरोभवात् // 25 // स्वरूपाज्ञानमेकंहिपर्वदेहेंद्रियासवः // अंतःकरणमेषांहिचतुर्दाध्यासउच्यते // 26 // पंचपर्वात्व विद्येयंयदद्धोयातिसंसृति।।इत्यस्या:पंचपर्वाण्याचार्यपादान्यरुपयन् ॥२७॥अहंताममतारूपःसंसारोयोमषोदितः|| विद्योपाधितोमिथ्यामृगतृष्णेवदृश्यते॥२८॥विपरीतक्रमेणोक्तमध्यासानांचतुष्टयं॥एवंपर्वमुसिद्धेषुदेहेऽहंभावइष्यते॥२९॥ तत्संबंधिनिगेहादोममतापिततोमता // ससंसारोभ्रमःस्वमोमायेत्यादीहकथ्यते // 30 // अविद्योपाधितोोषोऽज्ञानात्मे 1 1 तिरोभावयत् 2 जातमितिशेषः 3 ऐश्वर्यादिषट्कं 1 ऐश्वर्यादिचतुष्कस्य 5 ज्ञानवैराग्ययोः /
SR No.020884
Book TitleVedant Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages103
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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