________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(४१६)
वसंतराजशाकुने-सप्तदशो वर्गः।
॥ टीका ।।
च नवम्यां च दशम्यां मरणं ध्रुवम् ॥ ३ ॥ एकादश्यां पुत्रलाभो द्वादश्यां धनसंपदः ॥ त्रयोदश्यां भवेद्धानी रत्नहानिः शिवाहनि ॥ ४॥ पौर्णमास्याममाय बन्धुहानिर्धनक्षयः। सोमशुक्रबुधगुरुवाराः शुभकराः सदा ॥५॥
॥ इति तिथिवारफलम् ॥ अश्विनी क्षेममारोग्यं भरणी रोगमेव च । कृत्तिका धनहानि च संपदोरोहिण मृगे ॥ ६ ॥ आर्दा मृत्युभयं कुर्यात्पुष्यश्वव पुनर्वसुः ॥ धनलाभं प्रकुरुते सा च मरणं ध्रुवम् ॥ ७ ॥ मघा क्षेमकरी प्रोक्ता तथा पूर्वोत्तरा सदा । हस्तचित्रा भवेनित्यं स्वाती शुभकरा पुनः॥८॥ विशाखा धननाशाय मैत्र्यां स्याद्राज्यमेव च । ज्येष्ठा च मृत्यवे प्रोक्ता मूलं चाषाढिकाइयम् ॥ ९॥ मृत्युकरा धनिष्ठा च श्रवणे राज्यमेव च ॥ शतभिक्व तथा प्रोक्ता पूर्वाभाद्रपदोत्तरा ॥ १० ॥ कांचनं लभते पौष्ण आयुरारोग्यमेव च । पल्लीप्रपतनं यस्य सरटस्याधिरोहणम् ॥ ११॥
॥ भाषा॥
नामी दशमी इनमें पल्लीको पतन मरण करै ॥ ३ ॥ ग्यारसमें पल्लीको पतन पुत्रलाभ कर. द्वादशीमें पल्लीको पतन धनसंपदा करे. त्रयोदशीमें पल्लीको पतन. हानि कर. चौदसमें पल्लीको पतन रत्नकी हानि करै ॥ ४ ॥ पौर्णमासी अमावास्यामें पल्लीको पतन बन्धूनकी हानि, धनको क्षय करै, और चन्द्रवार, शुक्रवार, बुधवार, गुरुवार ये चार वार शुभ करबेवाले सदा जानने चाहिये ॥५॥
॥ इति तिथिवारफलम् ॥
अथ नक्षत्रफलम् ॥ अश्विनीमें पल्ली पडै तो क्षेम आरोग्य होय. भरणीमें पडै तो रोगकरै. कृत्तिकामें पड़े तो धनकी हानि कर. रोहिणी मृगशिर इनमें पड़े तो संपदा होय ॥ ६ ॥ आमें पडै तो मृत्यु भय करें, पुष्य, पुनर्वसु इनमें पड़े तो धनको लाभ करे. आश्लेषामें पंडे तो मरण निश्चय होय ॥ ७ ॥ मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी इनमें पड़े तो कल्याण करे. और हस्त चित्रा स्वाती इनमें पड़े तो शुभ करै ॥ ८ ॥ विशाखामें पडै तो धनको नाश कर. अनुराधामें पड़े तो राज्य होय, ज्येष्टामें पडै तो मृत्यु कर, मूल पूर्वाषाढा उत्तराषाढा इनमें पडै तो मत्यु करे ॥ ९ ॥ धनिष्टामें पड़े तो मत्यु करै. श्रवणमें पडै तो
और शतभिषा पूर्वाभाद्रपदा उत्तराभाद्रपदा इनमें पडै तो राज्य होय ॥१०॥ रेवती नक्षत्रमें पल्ली पडै तो आयु, आरोग्य, सुवर्ण इनको लाभ होय ॥ ११ ॥
For Private And Personal Use Only