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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३०८) वसंतराजशाकुने-द्वादशो वर्गः। इंद्राग्निवैवस्वतयातुधानजलेशवायुद्रविणेशशंभून् ॥ अभ्यचयेदष्टसु दिक्षु भत्त्या क्रमेण चाष्टावपि लोकपालान् ॥ ॥ १४९ ॥ नमोयुतैः सप्रणवैश्च सर्वान्निजाभिधानःप्रयतो मनुष्यः॥ अर्ध्यासनालेपनपुष्पधूपैनैवेद्यदीपाशतदक्षिणाभिः ॥ १५० ॥ आवाह्य काकांस्तरुसंनिविष्टानभ्यर्चयेत्प्राक्तनमंत्रशक्त्या ॥ ततस्तदर्थ बलिमाज्यसिक्तं मंत्रेण दद्यादधिभक्तपिंडम् ॥१५॥ मंत्रः॥“ॐ इंद्राय नमः॥ॐ यमाय नमः। ॐ वरुणाय नमः। ॐ धनदाय नमः । ॐ भूतनाथाय नमः वायसा बाल गृहंतु मे स्वाहा।।"उदीर्य कार्य स्वमथापसृत्य ततः प्रदेशात्करटस्य चेष्टाम् ॥ स्पष्टीकृतागामिशुभाशुभार्थी संलक्षयेनिश्चलपाणिपादः ॥ १२ ॥ ॥टीका ॥ तत्र ब्रह्ममुरारिभानूनर्चयेत् ॥ १४८ ॥ इंद्रामीति ॥ अष्टसु दिक्षु भक्त्या इंद्राग्निवैवस्वतयातुधानजलेशवायुद्रविणेशशंभूनष्टावपि लोकपालानभ्यर्चयेत् ॥ १४९ ॥ नमीयुतैरिति ॥ प्रयतो मनुष्यः अर्ध्यासनालेपनपुष्पधूपनैवेद्यदीपाक्षतदक्षिणाभिः नमोयुतैः सप्रणवैः निजाभिधानः सर्वानभ्यर्चयेत् ॥ १५० ॥ आवाह्यति ॥ तरुसंनिविष्टान्काकानावाह्य प्राक्तनमंत्रयुक्त्याऽभ्यर्चयेत्।ततस्तदर्थ दधिभक्तपिंडमाज्य सिक्तं बलिं मंत्रेण दद्यात्॥१५१॥मंत्रः॥"ॐ इंद्राय यमाय वरुणाय धनदाय भूत ॥ भाषा ॥ इंद्रामीति ॥ फिर आठों दिशानमें क्रमकरके इंद्र १ अग्नि २ यमराज ३ यातुधान ४ वरुण ५ वायु ६ कुबेर ७ शंभु ८ ये आठ लोकपाल देवतानको पूजन करै ॥ १४९ ॥ नमोयुतैरिति ॥ मनुष्य सावधान होय प्रणवसहित नमः अंतमें बीचमें नाम ॐ इंद्राय नमः या रीतिसूं सबको अर्घ्य, आसन, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, दक्षिणा इनकरके पूजन करे ।। १५० ॥ आवाह्येति ॥ दुग्धवान् वृक्षमें स्थित जे काक तिने आवाहन करके पूर्व कहे जो मंत्र तिनकरके ता पीछे काकके अर्थ घृत मिलवा दहीभातको पिंड मंत्र बोलकरके बलि देवे॥१५१॥मंत्रः॥ ॐइंद्राय नमः ॐयमाय नमः ॐवरुणाय नमः ॐधनदाय नमः ॐभूतनाथाय नमः वायसाबलिं गृहंतु मे स्वाहा ॥” उदीयेति ॥ प्रथम अपनो कार्य कहकरके पीछे वा स्थानसूं पीछो आय निश्चल होय काककी चेष्टा For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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