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वर्धमान -
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प्रस्तावना.
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सुज्ञ वाचकवृंद,
आ " श्री वर्धमानपद्म सिंहचरित्र ” नामनो संस्कृत काव्यबद्ध ग्रंथ अंचलगच्छाधिराज महाप्रभाविक श्रीमान् कल्याणसागरसूरिजीना मुशिष्य कविरत्न श्री अमरसागरसूरिजीए वि. सं. १६९१मां रचेलो छे. आ ग्रन्थमां लालणगोत्रना प्रभाविक पुरुषो श्रीमान् वर्धमानशाह तथा तेमना भाइ पद्मसिंहशाहनुं जीवन चरित्र सविस्तर वर्णवेलुं छे. तथा लालण गोत्रना आदि पुरुष श्रीमान् लालणने गोत्रदेवीनुं प्रत्यक्ष देखावुं, तथा तेमणे लालणगोत्रीओने लक्ष्मीरूपे सहाय थवानुं आपेलुं वरदान विगेरे हकीकतथी आ ग्रन्थने विभूषित करेल छे, ते गोत्रदेवीप आपेला वरदानमुजब श्रीमान् लालण पछी तेमनी सोळमी पेढीए थयेला महान् पुण्यशाळी श्रीमान् वर्धमानशाह तथा तेमना बंधु श्रीमान् पद्मसिंहशाहने योगीरूपे वे बखत सहाय आपी महान् मदद आपी छे, अने ते गोत्रदेवीए आपेली चित्रावेलनी जडीबुटीना प्रभावधी ते श्रीमान बने भाइओए लाखोगमे धन अनेक धार्मिक कार्योंमां खरच्युं छे, विगेरे घणीज रसिक अने जाणवाजोग हकीकत आ ग्रन्थमां आपेल छे, तेथी भव्यजनोना उपकार माटे आ ग्रन्थनुं गुजराती भाषांतर जामनगर निवासी पंडित श्रावक हीरालाल हंसराज पासे करावी मूळ
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चरित्रम्.