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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagerul Gyanmandit वर्धमान- स्वपरिकरयुताभ्याममात्यशिरोरत्नाच्यां सादिश्रीवर्धमानपद्मसिंहाभ्यां हाहारदेशे नव्यनगरे जा-चरित्रम्, मश्रीशत्रुशख्यात्मजश्रीजसवंतजीविजयगज्ये श्रीअंचलगच्नेशश्रीकल्याणसागरसूरीश्वराणामुपदेशे॥१५॥ नात्र श्रीशान्तिनाथप्रासादादिपुण्यकृत्यं कृतं. श्रीशान्तिनाथप्रनृत्येकाधिकं पंचशतप्रतिमाप्रतिष्टायुगं करापितम् । चाद्या संवत १६३६ वैशाखशुक्ल ३ बुधवासरे, हितीया संवत १६७० वैशाकशुक्ल ५ शुक्रवासरे. एवं तदा मंत्रीश्वरश्रीवर्धमानपद्मसिंहाच्यां सप्तलक्षरुप्यमुडिका व्ययीकृता नवक्षेत्रेषु. पोताना परिवार सहित, अमात्यमा शिरोमणि समान, वर्धमानशाह तथा पद्मसिंहशाहे, हाल्लार देशमा, नवानगरमा ( जामनगरमा ) जामश्री शत्रुशल्यना पुत्र महाराजा जामश्री जशवंतजीना राज्यमा, श्री अंचलगच्छना आचार्य श्री कल्याण6. सागर सूरीश्वजीना उपदेशथी, श्रीशांतिनाथ महाराजना प्रासाद आदिक पुण्यना काम करू श्री शांतिनाथजी मधु आदिक पांचशो एक प्रतिमानी वे वार प्रतिष्टा करावी. तेमा पहेली संवत १६७६ना वैशाक शुद ३ बुधवारे तथा बीजी संवत ॥१५॥ १६७८ना वैशाक शुद ५ शुक्रवारे करावी. एवी रीते ते वखते मंत्रीश्वर श्री वर्धमानशाह तथा पद्मसिंहशाहे सात लाख रुपा| मोहोरो नव क्षेत्रोमां वापरी. ( हाल ते बांधणीनु एवुज मंदिर जो करवामां आवे, तो खरेखर एक करोड कोरी एटले पचीश || KANER91-+-+-74 For Private And Personal Use Only
SR No.020877
Book TitleVardhaman Padmasinh Shreshthi Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarsagarsuri
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1924
Total Pages159
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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