________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ.का. अ. मं० त्वाममेपुष्करा .... .... 15 22 |दक्षिणामारोह .... .... 10/ 11 दिवोाविष्णउत त्वाममेयजमाना .... 12 28 दधिक्राणः .... .... 23 32 दीक्षायैरूपम् .... .... त्वाममेवृणुते ..... .... 27 3 दस्रायुवाकवलं.... .... 33 58 दीर्घायुस्त .... त्वामद्यऋर्षे .... 21 61 दिग्ब्भ्य स्वाहा .... 39 2 दुरोदेवीदिशः.... वामिद्धिहामहे 27 37 दिव:पृथिव्या? हव्हस्वदेवि .... वाङ्गन्धर्वाः ..... 12 98 दिवस्परि .... दृतेदृहमा .... त्वाञ्चित्रस्रवस्तमदं ..... 15 31 दिविधाऽइमम् .... .... 38 11 दृदृहमामित्रस्य वाहिमन्द्रतम् ..... 33 13 दिविपृष्ठ .... .... 33 92 दृशानोरुक्म.... त्वेऽअग्मेस्वाहुतलं .... 33 41 दिविविष्णु) .... .... 2 25 दृष्ट्वापरिसृतः .... दष्ट्राब्भ्याम् .... .... 11 78 दिवोमूर्द्धासि .... .... 1854 दृष्ट्वारूपे .... .... For Private and Personal Use Only