________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SARM verwerPAMANANaweza // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 6 // ल्यांचवर्ततेकीटकाशना // अष्टाशीतिषुवर्षेषुस्थितंतेनदुरात्मना // 14 // विA देहाधिपतेर्गेहेकदाचिदृषिसत्तमः // श्रुतदेवइतिख्यातोश्रांतोमध्याह्नआगतः॥ // १५॥तंदृष्ट्वासहसोत्थायजातहर्षोनराधिपः॥मधुपर्कादिभिःपूज्यतस्यपादावने जनीः // 16 // अपोमूर्नाऽवहक्षिप्रंतदोसिक्तैश्चबिंदुभिः // दैवोपदिष्टकाले-S शीनप्रोक्षितागृहगोधिका॥ 17 // सद्योजातिस्मृतिरभूत्स्मृतकर्मातिदुःखिता // त्राहित्राहीतिचक्रोशब्राह्मणंगृहमागतं // 18 // तिर्यग्जंतुरवंश्रुत्वाब्राह्मणोवि-5 स्मितोऽवदत् // कुतःक्रोशसिंगोधेत्वंदशेयंकेनकर्मणा // 19 // त्वंदेवपुरुषः // कश्चिन्नपोवाथहिजोऽथवा // कस्त्वंब्रहिमहाभागत्वामद्याहंसमुद्धरे // 20 // पादक्षालनमंबंधिनीः।२ तत्क्षणं। बन्लान्टनाका For Private and Personal Use Only