________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 106 / PROORKOREASORRORRORRORMOURISORRORRORRULAR // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 21 // वशिष्टोऽत्रयतस्त्वंवर्तसेभुवि // किंचित्खादतितंत्वाखुस्तवचायुःक्षयक्रमात् // BI // 74 // परेंतेत्वयिचास्माकंतवापिपतनंभवेत् // कूपएवांधतामिस्रसंतानेऽ|| पिक्षयंगते // 75 // तस्माद्गार्हस्थ्यमास्थायकुरुसंततिवर्धनं // तेनास्माकंतंतुनास्याद्गतिरूवा॑नसंशयः // 76 // एष्ट्रव्याबहवःपुत्रायोकोऽपिगयांव्रजेत् // यजेतवाऽश्वमेधेननीलंवावृषमुत्सृजेत् // 77 // यद्येकोऽपिचवैशाखेमा-४ि घेवाकार्तिकेऽपिवा // अस्मानुद्दिश्यवैस्नानंश्राद्धदानंकरिष्यति // 78 // ते-5 नचोर्ध्वगतिर्भूयानरकादुद्दतिश्चनः // एकोवाविष्णुभक्तःस्यादेकोवाहरिवास- 8 बरी // 79 // एकोवाशृणुयाद्विष्णोःकथांपापप्रणाशिनी // तस्यातीतंकुलशतं 1 मृते / 2 तदर्थ यत्नः कार्यइत्यर्थः / 3 एकादशीवतकर्ता। இலைலைலைலைலைலைலைலை QeQue For Private and Personal Use Only