________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 21 // निःस्तंबत्वाच्चतन्मूलमाखुःखादतिप्रत्यहं // 67 // एकस्यैवावशिष्टत्वाकिंचिन्मूलावशेषितः // आखुनाखाद्यमानश्चवर्ततेसौम्यपश्यतं // 68 // है तस्यचायुःक्षयेतातशेषमाखुश्चरिष्यति // पश्चात्कूपेपतिष्यामोदुरुत्तारेंऽधतामसे // 69 // तस्मात्त्वंचभुवंगत्वाधर्मवर्णप्रबोधय // अस्मद्वाक्येर्दयापा-15 त्रैर्गार्हस्थ्येविमुखमुनि // 70 // पितरस्ते-शााहिनरकेपतितामया // अं"धकृपेदुरुत्तारेदृष्टादूर्वावलंबिनः // 71 // सादूर्वावंशरूपाहितन्मूलंसंततिर्मु-15 ST ने // कालाख्योमूषकस्तस्यमूलंखादतिप्रत्यहं / / 72 // वंशनाशानुक्रमतए-ह कस्त्वंचावशेषितः // तेनमूलस्यदूर्वायानष्टंभागत्रयंमुने // 73 // एकोभागोऽ 1 स्तंबो गुच्छः / 2 भक्षयिष्यति / 3 दुस्तरे / 4 अत्यंतपीडिताः decorrTEREEEEEErrent For Private and Personal Use Only