________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir FIROUDPURIFOURISORREGURRIORROOPARLIROLARILALOUR // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 18 // शासौतदोत्तस्थौकलेवरं // तदादेवाविनिश्चित्यप्राणंदेवाधिकंविभुं // 56 // 0 बलेज्ञानेचधैर्येचवैराग्येप्राणनेपिच // ततोऽभिषेचयांचक्रुसैवराज्यमहाप्रभुं // // 57 // उत्कृष्टस्थितिहेतुत्वादुक्थमेकंतदाजगुः // तस्मात्प्राणात्मकंविश्वंसवस्थावरजंगमं // 58 // अंशैःपणेबलायैश्चपूर्णोऽयंजगतांपतिः॥ नप्राणहीनं / जगदस्तिकिंचित्प्राणेनहीनंनचवसमेधते // 59 // प्रातेनहीनस्थितिमन्त्रकि-2 चित्प्राणेनहीनंनचकिंचिदस्ति // तस्मात्प्राणःसर्वजीवाधिकोऽभबलाधिकः सर्वजीवांतरात्मा // 60 // प्राणात्कोपिाधिकोवासमोवाशास्रदृष्टःश्रुतपूर्वोह नचास्ते // तत्तत्कार्यानुगःप्राणएकोदेवोह्यनेकधा // 6 // तस्मात्प्राणवरंप्राशाहुःप्राणोपासनतत्पराः // लीलयैवजगत्स्रष्टुंहंतुंपालयितुंप्रभुः॥६२॥ शेषा-18 महानाहाना For Private and Personal Use Only