________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir FERRRRRREASYAROASURREARRRRRRRRENA // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 18 // र हस्तहीनममुंप्राहुर्नदेहः // शृण्वन्पिबन्वदन्॥४१ // लोचनाभ्यांविनिAष्क्रांतःसूर्यस्तेजस्विनांवरः॥ तदाऽधकममुंप्राहुर्नदेहः०॥४२॥ शृण्वन्पिब० // // घ्राणात्पश्चाद्विनिष्क्रांतौनासत्यौविश्वभैषजौ // अजिघ्राणममुंप्राहुर्नदेसहः० // 43 // शृण्वन्पिबन्श्वसन्नास्तेवदन्नपिचलन्नपि // श्रोत्रादिशोविनिष्क्रांतानदेहः // तदाऽमुंबधिरप्राहुर्नमृतेतिकथंचन // 44 // श्वसन्पिबन्वदनास्तेनदन्नपिचलन्नपि // वरुणोरसनायास्तुविनिष्क्रांतस्ततःपरं॥ तदाऽरसआज्ञमेवाहुर्नदेहः०॥४५॥ जीवन्नदंश्चलनास्तेतथाजिघ्रन्श्वसनपि॥ ततोवा- // चोविनिष्क्रांतोवह्निर्वागीश्वरोविभुः // 46 // तदामूकममुंप्राहुर्नदेहः०॥ जी वनछसंश्चलनास्तेजानन्नेषपुनःपुनः॥४७॥ पश्चान्द्रोविनिष्क्रांतोमनसोबोಹೆಜನಜನಜನಜನಜನಜನಜನಜನಜನಕನನಡ ललललाहन्छन् For Private and Personal Use Only